मंदिर को भव्यता देने की संभावनाएं तलाशेंगे युवा इंजीनियर, पर‍िसर-कार्यशाला का करेंगे भ्रमण

सिविल इंजीनियर‍िंग एवं आर्कीटेक्चर से जुड़े छात्रों का दल करेगा रामजन्मभूमि परिसर का भ्रमण। अविवि के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित के संयोजन में प्रशस्त होंगी संभावनाएं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 05 Mar 2020 06:44 PM (IST) Updated:Thu, 05 Mar 2020 06:44 PM (IST)
मंदिर को भव्यता देने की संभावनाएं तलाशेंगे युवा इंजीनियर, पर‍िसर-कार्यशाला का करेंगे भ्रमण
मंदिर को भव्यता देने की संभावनाएं तलाशेंगे युवा इंजीनियर, पर‍िसर-कार्यशाला का करेंगे भ्रमण

अयोध्या, (रमाशरण अवस्थी)। रामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण रामजन्मभूमि न्यास के जिस मॉडल के अनुरूप होगा, वह स्वयं में भव्यता का पर्याय है। इसके बावजूद सदियों बाद मंदिर निर्माण का स्वप्न साकार करने में लगे रामभक्त आराध्य के मंदिर को भव्यता देने में कोई कसर नहीं रखना चाहते। इसी आकांक्षा के अनुरूप मंदिर निर्माण के अलावा अधिग्रहीत 70 एकड़ के परिसर में भव्यता के पर्याय अनेकानेक प्रखंड यज्ञशाला, पाठशाला, धर्मशाला एवं उद्यान के रूप में संयोजित होने हैं।

संपूर्ण 70 एकड़ का निर्माण संयोजित करने के लिए रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र जैसे दिग्गज के नेतृत्व में जहां सिविल इंजीनियर‍िंग से जुड़ी देश की प्रतिष्ठित कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के विशेषज्ञ निर्माण नियोजन को अंतिम रूप देने में लगे हैं, वहीं देश के कई शीर्ष संस्थानों के सिविल इंजीनियर‍िंग एवं आर्कीटेक्चर से जुड़े मेधावी छात्र भी भव्यता की संभावना प्रशस्त करेंगे।

इस संभावना के सूत्रधार स्थानीय अवध विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित हैं। आचार्य दीक्षित अपनी रचनात्मकता और रामनगरी तथा भगवान राम की सांस्कृतिक अस्मिता से संबद्ध सरोकारों के लिए सुप्रसिद्ध हैं। जिस दीपोत्सव के माध्यम से रामनगरी को सांस्कृतिक क्षितिज पर वैश्विक पहचान मिली है, उसकी परिकल्पना से लेकर उसे साकार करने में आचार्य दीक्षित की अहम भूमिका रही है। वे लंबे समय से न केवल रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के हामी रहे रहे हैं बल्कि इस मंदिर को भव्यतम बनाने की साध संजोते रहे हैं।

अब जबकि मंदिर निर्माण शुरू होने को है, आचार्य दीक्षित पूरी प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ स्वयं को रामकाज में लगाने की भावभूमि तैयार कर चुके हैं। इसी भावना के तहत वे जल्दी ही देश के नामी संस्थानों में सिविल इंजीनियर‍िंग व आर्कीटेक्चर के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को अधिग्रहीत परिसर के साथ उस कार्यशाला का भ्रमण कराएंगे, जहां प्रस्तावित मंदिर के लिए तीन दशक से पत्थरों की तराशी चल रही है। ताकि स्थलीय निरीक्षण के बाद युवा प्रतिभाशाली अभियंताओं का दल मंदिर परिसर को भव्यतम स्वरूप देने के बारे में अपनी कल्पनाशीलता और व्यावसायिक कौशल का परिचय दे सके।

अन्यान्य निर्माण की अपार संभावना

 268 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा एवं 128 फीट ऊंचा रामलला का प्रस्तावित मंदिर एक एकड़ से भी कम परिक्षेत्र में निर्मित होगा। ऐसे में स्पष्ट है कि 70 एकड़ का परिसर अन्यान्य निर्माण के लिए अपार संभावना से युक्त होगा। संभावना के इसी क्षितिज पर भव्यता गढऩे के लिए सिविल इंजीनियङ्क्षरग के छात्रों को अपनी प्रतिभा का परिचय देना होगा। 

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