शिक्षा मित्रों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांगा जवाब, 14 जुलाई को फिर होगी सुनवाई

सहायक शिक्षक भर्ती मामला- उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन व अन्य की याचिका पर जारी किया नोटिस। 14 जुलाई को फिर होगी सुनवाई।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Thu, 21 May 2020 01:08 PM (IST) Updated:Thu, 21 May 2020 10:49 PM (IST)
शिक्षा मित्रों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांगा जवाब, 14 जुलाई को फिर होगी सुनवाई
शिक्षा मित्रों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांगा जवाब, 14 जुलाई को फिर होगी सुनवाई

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों में सहायक नियमित सहायक शिक्षक बनने की कोशिश और संघर्ष में लगे शिक्षा मित्रों में कुछ उम्मीद की किरण जगी है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सहायक शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिक्षामित्रों की याचिका पर विचार का मन बनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

कोर्ट ने प्रदेश सरकार से भर्ती परीक्षा में शामिल हुए शिक्षा मित्रों के बारे में छह जुलाई तक ब्योरा मांगते हुए मामले को 14 जुलाई को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया है। यह मामला प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का है जिसमें हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार परीक्षा परिणाम भी घोषित कर चुकी है। न्यायमूर्ति यूयू ललित, एमएम शांतनगौडर और विनीत सरन की पीठ ने उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र एसोसिएशन व अन्य शिक्षा मित्रों की ओर से दाखिल विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के बाद ये नोटिस जारी किये।

एसोसिएशन के वकील गौरव यादव मामले में नोटिस जारी होने को बड़ी सफलता मानते हुए कहते हैं कि कोर्ट को प्रथम दृष्टया दलीलों में दम दिखा है तभी कोर्ट ने नोटिस जारी कर ब्योरा मांगा है। शिक्षा मित्रों की याचिकाओं में विशेष तौर पर भर्ती परीक्षा के बाद योग्यता मानदंड बदलने को चुनौती दी गई है। दलील है कि भर्ती विज्ञापन निकलने और परीक्षा होने तक न्यूनतम योग्यता अंक तय नहीं थे परीक्षा होने के दूसरे दिन सरकार ने नियम बदल दिये और परीक्षा के न्यूनतम क्वालीफाई अंक 65 और 60 फीसद कर दिये जो कि गलत है।

वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, राकेश द्विवेदी, दुष्यंत दवे ने शिक्षामित्रों की ओर से बहस करते हुए कहा कि सहायक शिक्षक भर्ती की पहली परीक्षा में भर्ती का आधार 40 और 45 फीसद अंक था जबकि दूसरी परीक्षा में ये 60 और 65 फीसद कर दिया गया। ये कैसे हो सकता है कि एक भर्ती दूसरे कटआफ पर और दूसरी भर्ती दूसरे कटआफ पर हो। शुरूआत में कोर्ट मामले पर विचार करने का सहमत नहीं था लेकिन बाद में राजी हो गया और नोटिस जारी किया।

शिक्षा मित्रों की मांग है कि भर्ती के न्यूनतम क्वालीफाई अंक 40 और 45 फीसद होने चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा शिक्षामित्र सहायक शिक्षक नियुक्त हो सकें। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे छह जुलाई तक जवाब दाखिल कर यह बताएं कि परीक्षा में कितने शिक्षामित्रों ने 40 और 45 फीसद या उससे ज्यादा अंक अर्जित किये हैं। छह जुलाई तक सरकार इसका ब्योरा दे और 14 जुलाई को फिर सुनवाई होगी।

कोर्ट ने कहा कि वह इस पहलू पर भी विचार करेंगे कि नियुक्ति प्रक्रिया के नियम परीक्षा के बाद बदलना कितना सही था। मेहता ने सुनवाई के दौरान याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि ये लोग प्रतिभाशाली उम्मीदवारों पर कम प्रतिभा वालों का कब्जा चाहते हैं।

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