हर मोर्चे पर लहराई मध्य कमान की विजय पताका

एक मई को हुआ था मध्य कमान का उदय। चीन की सीमा पर है चौकसी देखने की जिम्मेदारी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 May 2018 03:21 PM (IST) Updated:Tue, 01 May 2018 03:35 PM (IST)
हर मोर्चे पर लहराई मध्य कमान की विजय पताका
हर मोर्चे पर लहराई मध्य कमान की विजय पताका

लखनऊ[निशात यादव]। छावनी स्थित मध्य कमान मुख्यालय पर लगा प्रतीक चिन्ह सूर्य का तेज पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन तक पहुंच रहा है। सन् 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में इस कमान ने उत्तर में कश्मीर से लेकर पूरब में बाग्लादेश तक सेतु का काम किया। 1999 के कारगिल युद्ध में भी 523 जवानों की शहादत हुई थी। जिसमें सबसे अधिक 208 जाबाज मध्य कमान के अंतर्गत आने वाले राज्यों के थे। आज यानी मंगलवार को मध्य कमान की स्थापना की 55वीं वर्षगाठ है।

इसी कमान में पिछले दिनों हुई वार गेम काफ्रेंस में सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने भावी रणनीति पर मंथन किया था। मध्य कमान को सूर्या कमाड के नाम से भी जाना जाता है। देश के सात कमान में से सबसे बड़े मध्य कमान के अंतर्गत 18 रेजीमेंट हैं। जो कि उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और उड़ीसा में स्थित हैं। इस कमान में शहीद कैप्टन मनोज पाडेय वाली 11 गोरखा राइफल्स और राजपूत रेजीमेंट जैसी दुश्मनों के दात खट्टे करने वाली इंफेंट्री है। सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाने वाली स्ट्राइक कोर, चीन से मोर्चा लेने वाली माउंटेन डिवीजन के अलावा आ‌र्म्ड की रेजीमेंट इसी कमान का हिस्सा है। देश भर में जवानों के साथ पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को बेहतर उपचार करने वाली सेना मेडिकल कोर भी मध्य कमान का ही एक हिस्सा है। देश में 62 छावनी में से सबसे अधिक 25 छावनिया मध्य कमान के सात राज्यों के अंतर्गत ही आती हैं। ऐसे पड़ी नींव

दरअसल, सेना को लड़ने के लिए एक बेस की जरूरत होती है। इसके लिए मध्य कमान की सबसे पहले नींव 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पड़ी। ब्रिटिश सेना ने 1946 में इसे भंग कर दिया और सदर्न कमान को भारतीय जवानों के प्रशिक्षण के लिए अहम जिम्मेदारी दी गई।

जाबाजों से लबरेज कमान

सन् 1947 में कश्मीर पर हुए कबाइली हमले में पराक्त्रम से दुश्मनों को खदेड़ने वाले शहीद मेजर सोमनाथ शर्मा को पहला परमवीर चक्त्र मिला था। वह अब कमान के अंतर्गत कुमाऊं रेजीमेंट की चौथी बटालियन का हिस्सा थे। परमवीर चक्त्र विजेता क्वार्टर मास्टर अब्दुल हमीद, कैप्टन विक्त्रम बत्र, कैप्टन मनोज पाडेय जैसे जाबाज इसी कमान के अंतर्गत स्थित राज्यों से आते हैं। परमवीर चक्त्र विजेता ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव इसी कमान से हैं।

सामरिक रिश्ते भी करता है मजबूत

अपने मित्र देशों के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास कर सामरिक रिश्ते मजबूत बनाने में भी यह कमान सबसे आगे है। अमेरिका, रूस, बाग्लादेश और नेपाल की सेनाओं के साथ युद्धाभ्यास मध्य कमान के क्षेत्रों में होता है। जबकि म्यामार सेना के अधिकारी भी पिछले साल मध्य कमान की लखनऊ सहित कई यूनिटों में गए थे।

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