शहर के दो ब्लड बैंकों का लाइसेंस निरस्त

- खून के अवैध धंधे में लिप्त था ओपी चौधरी का ब्लड बैंक - शेखर में नियमों की उड़ाई जा रही थीं धज्जि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Jul 2017 07:35 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jul 2017 07:35 PM (IST)
शहर के दो ब्लड बैंकों का लाइसेंस निरस्त
शहर के दो ब्लड बैंकों का लाइसेंस निरस्त

- खून के अवैध धंधे में लिप्त था ओपी चौधरी का ब्लड बैंक

- शेखर में नियमों की उड़ाई जा रही थीं धज्जियां, बेच रही था संक्रमित खून

जागरण संवाददाता, लखनऊ : घर में रक्त के अवैध कारोबार के हुए भंडाफोड़ की जांच लगभग पूरी हो गई है। इसमें शहर के एक डेंटल कॉलेज के ब्लड बैंक की संलिप्तता उजागर होने पर लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है। वहीं छापेमारी के दौरान शेखर हॉस्पिटल में नियमों को ताक पर रखकर चल रहे ब्लड बैंक को भी कार्रवाई का सामाना करना पड़ा।

दरअसल पांच जून को ठाकुरगंज के एक घर में खून के अवैध कारोबार का भंडाफोड़ हुआ था। इस दौरान पुलिस ने धंधे में लिप्त मो. आरिफ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वहीं मौके पर 20 यूनिट रक्त व 76 ब्लड बैग समेत विभिन्न अस्पतालों के पर्चे, ब्लड बैंक के भारी तादाद में लेवल पाए गए थे, जिसे खाद्य एवं औषधीय प्रशासन ने जब्त कर अस्पतालों व ब्लड बैंकों में छापा मारकर अवैध धंधे के कनेक्शन खंगालने में जुटा था। इसमें जब्त रक्त की यूनिट रायबेरली रोड स्थित ओपी चौधरी डेंटल कॉलेज के ब्लड बैंक से जारी हुआ था। घर से जब्त रक्त में से छह यूनिट को जांच के लिए एसजीपीजीआइ के ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में भेजा गया था। ड्रग इंसपेक्टर रमाशंकर के मुताबिक पीजीआइ में रक्त की जांच में चौधरी डेंटल कॉलेज के ब्लड बैंक से जारी रक्त की यूनिट में भी बैक्टीरियल इंफेक्शन व पुअर कंपानेंट की पुष्टि हुई। ऐसे में ड्रग कंट्रोलर एके जैन ने ओपी चौधरी ब्लड बैंक का लाइसेंस दो माह के लिए निरस्त कर दिया।

ओपी चौधरी ब्लड बैंक में यह हुए थे खेल

ड्रग इंसपेक्टर रमाशंकर के मुताबिक ओपी चौधरी की ब्लड बैंक पर नौ जून को छापा मारा गया था। इसमें अंधे की चौकी स्थित उजाला नर्सिग होम में भर्ती मरीज छोटेलाल के नाम पर सात यूनिट रक्त जारी पाया गया। मौके पर मौजूद डॉक्टर ने रक्त जारी होने की बात भी कबूली। इन यूनिटों का बिल 30 मई को जारी हुआ था, जिसमें दो यूनिट प्लेटलेट्स व पांच यूनिट प्लाज्मा था। वहीं आरिफ के पास जब्त किए गए कुल रक्त यूनिटों में से चौधरी ब्लड बैंक की दो यूनिट मिलीं। शेष उसने किसी मरीज में खपा दी थी। इन यूनिटों पर लेवल नंबर एक और चार लिखा था। इसका रिकॉर्ड चौधरी के ब्लड बैंक से मिलान होने पर अवैध रक्त के चल रहे कारोबार में संलिप्तता उजागर हुई।

शेखर में ब्लड बैंक का गलत नाम

ड्रग इंस्पेक्टर के मुताबिक शेखर हॉस्पिटल के ब्लड बैंक के नाम से भी आरिफ के घर लेवल मिले थे। मगर यहां अवैध धंधे से जुड़े कनेक्शन की पुष्टि नहीं हुई। यहां शेखर ब्लड बैंक एंड कंपोनेंट सेंटर, शेखर हॉस्पिटल लिमिटेड के नाम से जारी लाइसेंस के बजाए कंपोनेंट पर शेखर हॉस्पिटल ब्लड बैंक लिखा जा रहा था। वहीं मशीन के पैरामीटर व रिकॉर्ड गड़बड़ पाए गए थे, जिस कारण एक माह के लिए लाइसेंस निरस्त किया गया है।

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