ईसानगर क्षेत्र के कई ग्रामों में टिड्डी दलों ने किया हमला

जिले में आने के बाद टिड्डियों का दल बहराइच की ओर निकल गया। इनके दल को देखकर ग्रामीण खेतों की तरफ भागे और टिड्डियों को भगाने का प्रयास शुरू किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Jul 2020 12:11 AM (IST) Updated:Tue, 14 Jul 2020 06:08 AM (IST)
ईसानगर क्षेत्र के कई ग्रामों में टिड्डी दलों ने किया हमला
ईसानगर क्षेत्र के कई ग्रामों में टिड्डी दलों ने किया हमला

लखीमपुर : जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ईसानगर क्षेत्र के ग्राम जेठरा, अंधपुर, सिगावर चौंरा, रमनगरा ईश्ववारा, परसिया, दिलावलपुर व खमरिया सहित करीब तीन किलोमीटर के परिक्षेत्र में बड़ी संख्या में टिड्डी दलों ने हमला कर दिया। सोमवार को जैसे ही यह दल खेतों की तरफ उतरे, किसानों के माथे पर चिता की लकीर साफ झलकने लगी। इनके दल को देखकर ग्रामीण खेतों की तरफ भागे और टिड्डियों को भगाने का प्रयास शुरू किया। थाली, गिलास और ढोल, नगाड़े बजाने से टिड्डियां उड़ते हुए बहराइच की ओर निकल गई। उप कृषि निदेशक त्रयंबक त्रिपाठी का कहना है कि पाकिस्तान की ओर से आई टिड्डियों के कई दल बन गए हैं। किस समय, किधर से कौन दल टिड्डियों का जिले में हमला बोल दे। किसान जागरूक रहें। फिलहाल सोमवार को बहराइच की तरफ टिड्डियों के निकल जाने से खतरा टल गया है। उनका कहना है कि टिड्डियों के विभिन्न स्थानों पर अंडे दे देने से भी टिड्डियों के नए दल पैदा हो गए हैं। खीरी जिले में टिड्डियों से निपटने की पूरी तैयारी कृषि विभाग ने कर ली है।

टिड्डी दल से ऐसे करें बचाव :

जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. इंद्रेशु गौतम ने बताया कि टिड्डियों की पहचान उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लंबे पैरों से होती है। फसलों को एक ही बार में सफाया कर देती हैं। जिला कृषि अधिकारी सत्येंद्र सिंह ने कहा कि फूल, फल, पत्ते, बीज, पेड़ की छाल और अंकुर सबकुछ खा जाती हैं। हर एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। इस तरह से एक टिड्डी दल, 2500 से 3000 लोगों का भोजन चट कर जाता है। जीवन 40 से 85 दिनों का होता है। टिड्डी जहां इकट्ठा हो वहां फ्लेमथ्रोअर से जला दें। भगाने के लिए थालियां, ढोल, नगाड़े, लाउडस्पीकर या शोरगुल मचाएं। जिस स्थान पर अंडे दिए हों, वहां 25 किग्रा 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस को मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें।

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