दिव्यांगता नहीं आई आड़े, लिख रहीं नारी शक्ति की इबारत

फोटो 07एलएके 03 -पिता की मौत के बाद भी प्रियांशी के हौंसले में नहीं आई संवादसूत्र लखीमपुर कहते हैं जब हौंसले बड़े हों तब कोई भी समस्या दीवार नहीं बन सकती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाली प्रिया सिंह और प्रियांशी ने।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Mar 2020 11:12 PM (IST) Updated:Sat, 07 Mar 2020 11:12 PM (IST)
दिव्यांगता नहीं आई आड़े, लिख रहीं नारी शक्ति की इबारत
दिव्यांगता नहीं आई आड़े, लिख रहीं नारी शक्ति की इबारत

लखीमपुर : कहते हैं जब हौंसले बड़े हों तब कोई भी समस्या दीवार नहीं बन सकती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाली प्रिया सिंह और प्रियांशी ने। प्रियांशी के पिता की मौत भी उसकी लगन में आड़े नहीं आई। श्रवण बाधित होते हुए भी एक्सीलेरेटेड लर्निंग कैंप के 120 बच्चों के बीच प्रियांशी पढ़ाई में इतनी तेज है कि बेसिक शिक्षा के अधिकारियों ने उसका नाम राज्यपाल से सम्मानित करने के लिए प्रोजेक्ट किया। अधिकारियों के अनुसार प्रियांशी कैंप की सबसे अनुशासित और क्रियाशील छात्रा है। वह खुद की पढ़ाई के साथ ही कैंप में लाए गए दूसरे बच्चों को भी शिक्षा के प्रति प्रेरित कर रही है। अधिकारी इस छात्रा पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। ताकि प्रियांशी की पढ़ाई में किसी तरह की कोई बाधा उत्पन्न न हो।

इसी तरह जिले के नकहा ब्लॉक के सिरैंचा उच्च प्राथमिक विद्यालय की छात्रा प्रिया सिंह को भी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सम्मानित किया है। बीएसए बुद्धप्रिय सिंह ने बताया कि सिरैंचा गांव की प्रिया सिंह मीना मंच की है। यह बच्ची खुद तो जागरूक है ही, स्कूल की दूसरी छात्राओं को भी सुरक्षा के प्रति जागरूक कर रही है। अपने शिक्षकों से प्रिया कहती है कि समाज में बेटियों को बेटों के बराबर स्थान नहीं दिया जाता लेकिन, बेटियां अब कमजोर नहीं रह गई हैं। वह अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। एक दिन वह भी जरूर अपना मुकाम हासिल करेंगी।

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