पौराणिक शिवालय के बाद भूतनाथ के पूजन की मान्यता

लखीमपुर : नगर के पौराणिक शिवालय के इतिहास से जुड़ी मान्यता के अनुसार बाबा भूतनाथ मंदिर म

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Aug 2018 10:16 PM (IST) Updated:Sun, 19 Aug 2018 10:16 PM (IST)
पौराणिक शिवालय के बाद भूतनाथ के पूजन की मान्यता
पौराणिक शिवालय के बाद भूतनाथ के पूजन की मान्यता

लखीमपुर : नगर के पौराणिक शिवालय के इतिहास से जुड़ी मान्यता के अनुसार बाबा भूतनाथ मंदिर में सोमवार को हजारों हजार श्रद्धालुओं की भीड़ पूजन-अर्चन के लिए उमड़ेगी। बाबा भूतनाथ की मान्यता है कि यहां त्रेतायुगीन शिवालय से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर एक कुंआ है। इसके संबंध में कहा जाता है कि रावण ने जिस ग्वाले को शिव¨लग दिया था, वह स्वयं भगवान गणेश थे। रावण के क्रोधित होने पर ग्वाला स्वरूप भगवान गणेश भागकर इसी कुंए में कूदकर अंर्तध्यान हो गए थे। तब से इस कुंए में लोग हूं हूं की आवाजें निकालकर अपनी मन्नतें मांगते हैं। चूंकि गणेश जी प्रथम पूज्य भगवान हैं तथा भाई-बहन के रिश्ते में उनका पूजन माता लक्ष्मी के साथ किया जाता है, पौराणिक शिवालय में दर्शन के बाद भगवान गणेश के दर्शनों के बिना पूजन अधूरा रहता है। यूं तो वर्ष भर यहां पूजन अर्चन होता है, लेकिन सावन के अंतिम सोमवार को यहां बाबा भूतनाथ का विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों लोगों की भीड़ इसी कुंए के दर्शनों के लिए उमड़ती है।

दिनों दिन विशाल व भव्य हो रहा बाबा भूतनाथ का मेला

गोलागोकर्णनाथ : अवध क्षेत्र के विशाल ऐतिहासिक मेलों में शुमार छोटी काशी गोला के सावन मेले में नागपंचमी के बाद पड़ने वाले सोमवार को यहां विशाल भूतनाथ मेला लगता है। जहां लोग भगवान का पूजन अर्चन करने के बाद जरूरत के तमाम सामान सहित दैनिक उपयोग की चीजों की खरीद करते हैं। दिन पर दिन यहां का मेला नवीनता के साथ भव्य व विशाल होता जा रहा है। कभी यहां लगने वाली दुकानों में इतनी विशालता नहीं थी, लेकिन अब ख्याति प्राप्त इस मेले में मंदिर के इर्द गिर्द बडी संख्या में दुकानों की गैलरी बनती चली गई है। दूर तक लगी दुकानों में तमाम तरह की चीजों की बिक्री होने लगी है।

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