क्यों समझती हो जग संत हो जाएगा . . . .

लख मपुर : दशहरा मेला के सांस्कृतिक मंच पर शुक्रवार की रात यादगार रही। जब शहर के क

By JagranEdited By: Publish:Sat, 03 Nov 2018 10:04 PM (IST) Updated:Sat, 03 Nov 2018 10:04 PM (IST)
क्यों समझती हो जग संत हो जाएगा . . . .
क्यों समझती हो जग संत हो जाएगा . . . .

लख मपुर : दशहरा मेला के सांस्कृतिक मंच पर शुक्रवार की रात यादगार रही। जब शहर के कवि अनिल अमल के संयोजन में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में दूर-दराज से आए कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। मंच पर भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सुरेश तिवारी और विशिष्ट अतिथि राजकिशोर व सदर विधायक योगेश वर्मा ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। अशोक सुंदरानी के संचालन में डॉ. मानसी त्रिवेदी ने सरस्वती वंदना करके अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की शुरुआत की।

स्थानीय कवि फारुख सरल ने अवधी गीतों से शासन की व्यवस्था पर व्यंग किया। उन्होंने पढ़ा 'चली गई परधानी अब का करि हौ, बतावौ रमजानी अब का करिहौ' नोएडा से आए ओज के कवि अमित शर्मा ने राष्ट्र प्रेम की बात की उन्होंने पढ़ा युवा देश का जब जब रण में अपनी ताकत तौलेगा, चप्पा चप्पा इस धरती का वंदे मातरम बोलेगा। दुर्गेश दुबे ने श्री राम जन्मभूमि मुद्दे को लेकर सरकार पर व्यंग करते हुए कहा 'जाने कितनों की न•ारों में खटका रहा मैं अयोध्या के मुद्दे से लटका रहा।' मनवीर मधुर ने सैनिकों की शहादत याद दिलाते हुए पढ़ा 'सिपाही और सैनिक ही बांधे रहे कफन सिर, पर बताओ छोड़कर इनको शहादत कौन देता है' कार्यक्रम के संयोजक अनिल अमल ने सत्ताधीशों पर निशाना साधते हुए कहा 'साधु संत हैं निराश छूटने लगी है आस भूख हड़ताल कर आ गए हैं खाट में, पूछता है पूरा देश दीजिए जवाब हमें रामजी हमारे क्यों है आज तक टाट में' लखनऊ से आए सुप्रसिद्ध गीतकार रमेश रंजन ने पढ़ा 'क्यों समझती हो जग संत हो जाएगा, पूर्ण माहौल विष दंत हो जाएगा' तो पूरा पंडाल झूम उठा'। ओजस्वी कवि आशीष अनल ने वीरता के पर्याय बताते हुए कहा कि 'प्रश्न था कि वीरता के तीन पर्याय लिखो बच्चे ने हो अधिक ज्ञान लिख दिया। तीन पर्याय जब उसे याद आए नहीं उसने वहां पे सिर्फ ¨हदुस्तान लिख दिया' सारी रात पंडाल में चले इस कवि सम्मेलन में गीतकार विष्णु सक्सेना के सदाबहार गीत 'तुम अगर मेरे सपनों की राधा बनो मन मेरा फिर तो घनश्याम हो जाएगा' डॉ. सुनील जोगी की 'जो हमे उजाला देकर सरहदों पर बुझ गए एक दिया उनके नाम का जलाइये' जैसी रचनाओं में श्रोता डूबते उतराते रहे। इनके अलावा कविता किरण उन्नाव से, प्रियंका शुक्ला, नितिन पांडेय, डॉ. नरेश कात्यायन गजेंद्र प्रियांशु आदि कवियों ने काव्य पाठ किया। सुबह चार बजे तक चले अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में अधिशासी अधिकारी अखिलेश त्रिपाठी, राज कुमार त्रिवेदी, रमेश चंद्र मिश्र, मेला मीडिया प्रभारी राज किशोर पांडेय प्रहरी, डॉ. सतीश कौशल वाजपेयी, जो¨गदर ¨सह चावला, विजय मिश्र, राजीव तिवारी व सूरज त्रिवेदी समेत अनेक लोग मौजूद रहे।

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