विशेष फलदाई है महाशिवरात्रि का व्रत

देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये महाशिवरात्रि का व्रत विशेष महत्व रखता हैं। यह पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष यह उपवास 21 फरवरी शुक्रवार को पड़ रहा है। विधिपूर्वक व्रत रखने पर तथा शिवपूजन शिव कथा शिव स्त्रोतों का पाठ व ॐ नम शिवाय का जाप करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं। व्रत के दूसरे दिन ब्राह्मण को यथाशक्ति भोजन दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं। यह भगवान भोलेनाथ के विवाह का दिन है इसलिए रात्रि में बारात भी निकाली जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Feb 2020 10:49 PM (IST) Updated:Thu, 20 Feb 2020 06:06 AM (IST)
विशेष फलदाई है महाशिवरात्रि का व्रत
विशेष फलदाई है महाशिवरात्रि का व्रत

लखीमपुर : देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये महाशिवरात्रि का व्रत विशेष महत्व रखता हैं। यह पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष यह उपवास, 21 फरवरी शुक्रवार को पड़ रहा है। विधिपूर्वक व्रत रखने पर तथा शिवपूजन, शिव कथा, शिव स्त्रोतों का पाठ व ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं। व्रत के दूसरे दिन ब्राह्मण को यथाशक्ति भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं। यह भगवान भोलेनाथ के विवाह का दिन है, इसलिए रात्रि में बारात भी निकाली जाती है।

शिवरात्रि व्रत की महिमा

इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत को जो जन करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है, व इस व्रत को लगातार 14 वर्षो तक करने के बाद विधि-विधान के अनुसार इसका उद्धापन कर देना चाहिए। महाशिवरात्री व्रत की विधि

महाशिवरात्रि व्रत को रखने वालों को उपवास के पूरे दिन, भगवान भोलेनाथ का ध्यान करना चाहिए। प्रात: स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है। इसके ईशान कोण दिशा की ओर मुख कर शिव का पूजन धूप, पुष्पादि व अन्य पूजन सामग्री से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है। प्रत्येक पहर की पूजा में ॐ नम: शिवाय व शिवाय नम:ॐ का जाप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जाप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जाप किया जा सकता हैं।

शिव अभिषेक विधि

महाशिव रात्रि के दिन शिव अभिषेक करने के लिये सबसे पहले एक मिट्टी का बर्तन लेकर उसमें पानी भरकर, पानी में बेलपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिग को अर्पित किये जाते है। व्रत के दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए और मन में असात्विक विचारों को आने से रोकना चाहिए। शिवरात्रि के अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।

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