लखीमपुर में उत्पात मचाते हुए नेपाल वापसी कर रहा हाथियों का झुंड, फसलों को रौंदने के साथ मंदिर का गेट भी तोड़ा

लखीमपुर में हाथियों के झुंड का उत्पात जारी है। दरअसल वे अब नेपाल की ओर वापसी कर रहे हैं। वे रास्ते में फसलों को रौंदते हुए जा रहे हैं। वहीं झुंड ने मंदिर का गेट भी तोड़ दिया।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Wed, 05 Oct 2022 09:45 AM (IST) Updated:Wed, 05 Oct 2022 09:45 AM (IST)
लखीमपुर में उत्पात मचाते हुए नेपाल वापसी कर रहा हाथियों का झुंड, फसलों को रौंदने के साथ मंदिर का गेट भी तोड़ा
लखीमपुर में उत्पात मचाते हुए नेपाल वापसी कर रहा हाथियों का झुंड.

लखीमपुर, संवाद सूत्र। नेपाल से आए हाथियों की वापसी में बाधा उत्पन्न करना अब ग्रामीणों को भारी पड़ रहा है। हाथी इस कदर गुस्सा गए हैं कि वह तोड़फोड़ कर रहे हैं। सोमवार की रात महेशपुर रेंज से निकलकर हाथियों का झुंड बिहारीपुर में आ पहुंचा। हाथियों ने गन्ना व धान की तैयार खड़ी फसलों को रौंद दिया। जंगल और नदी की तलहटी स्थित विख्यात माता भुइया देवी मंदिर का गेट तोड़ डाला।

फसलों को नुकसान पहुंचा रहा हाथियों का झुंड

अभी तक हाथियों का झुंड शहजनिया, देवीपुर, महेशपुर बीट के जंगल से लेकर खेतों तक मौजूद था, लेकिन अब हाथी आगे बढ़ने के बजाए पीछे की ओर बढ़ रहे हैं और फसलों नुकसान पहुंचा रहे हैं। हाथियों ने दो दिन पहले वापसी की राह पकड़ी थी लेकिन सुंदरपुर, गंगापुर, प्रवस्त नगर के किसानों ने हुड़दंग मचाकर रास्ता रोक लिया। किसानों का प्रयास था कि हाथी उनके इलाके में न आएं, जिससे फसलों को बचाया जा सके।

उत्पात मचाते हुए हाथियों ने तोड़ा भुइया मंदिर का गेट 

इससे बिदके हाथियों ने आगे जाने के बजाए पीछे का रुख किया। अब हाथी गोला-मोहम्मदी हाइवे क्रास कर बिहारीपुर पहुंच गए। वहां उत्पात मचाते हुए भुइया मंदिर का गेट तोड़ दिया। जबकि किसान राजपाल सिंह, हरविंदर सिंह, इंद्रजीत सिंह, अमरीक, गुरूदयाल सिंह, इकबाल सिंह आदि का गन्ना व धान की फसलों को रौंद डाला। हाथियों के डर से फसल बचाने को खेतों में पड़े मचान तक खाली हो गए हैं।

चार साल से आ रहा हाथियों का झुंड

हाथी पिछले चार साल से लगातार दुधवा, भीरा, मैलानी, बांकेगंज के रास्ते महेशपुर आते रहे हैं। इस बार प्रसव के चलते इनका प्रवास लंबा खिंच गया। वन विभाग भी ग्रामीणों को धुंआ करने के लिए मिर्च, टायर और दगाने क लिए पटाखा बांट सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। ग्रामीण रात रात जाग कर ढोल, पटाखे आदि जलाकर खेत की रखवाली कर रहे हैं। दिनों दिन हाथियों के वापस होने की संभावनाएं बढ़ती जा रही है। जितने अधिक दिन हाथी रुकेंगे उतनी ही तबाही मचेगी।

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