माला जंगल की एनओसी से मैलानी-नानपारा रेल लाइन के आमान परिवर्तन की खुलेगी राह

पीलीभीत सेक्शन के रेल प्रखंड शाहगढ़-मैलानी के मध्य आमान परिवर्तन के लिए वन विभाग से एनओसी मिली।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Mar 2021 11:24 PM (IST) Updated:Tue, 16 Mar 2021 11:24 PM (IST)
माला जंगल की एनओसी से मैलानी-नानपारा रेल लाइन के आमान परिवर्तन की खुलेगी राह
माला जंगल की एनओसी से मैलानी-नानपारा रेल लाइन के आमान परिवर्तन की खुलेगी राह

लखीमपुर: पीलीभीत सेक्शन के रेल प्रखंड शाहगढ़-मैलानी के मध्य आमान परिवर्तन के लिए वन विभाग से एनओसी मिलने के बाद गेज कन्वर्जन का कार्य मार्च के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। संभावना है कि मई तक मैलानी-शाहगढ़ के मध्य ट्रेन का संचलन शुरू हो जाएगा।

पीलीभीत से माला के मध्य पीलीभीत टाइगर रिजर्व में आठ किमी. तक के रेलमार्ग के आमान परिवर्तन के लिए वन विभाग ने अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दिया है। इसके तहत रेलवे को आठ किमी. तक के ब्राडगेज रेलमार्ग के छह स्थानों पर वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बैरीकेडिग व अंडरपास बनाने होंगे और ट्रेन की स्पीड 30 किमी. प्रति घंटा रखनी होगी। इन्हीं शर्तों के साथ वन विभाग ने आमान परिवर्तन की अनुमति दी है। वन विभाग की यह अनुमति मैलानी-नानपारा रेल लाइन को ब्राडगेज में बदलने के लिए भी नजीर का काम कर सकती है। मैलानी-नानपारा रेल लाइन को ब्राडगेज में बदलने की अनुमति लेकर काम किया जा सकता है। बैरीकेडिग व अंडरपास बनाकर तथा ट्रेन की गति कम करने की शर्तो का पालन करके रेल महकमा इस रेल प्रखंड को भी ब्राडगेज में परिवर्तित कर सकता है। इस साल के बजट में इस कार्य का मद खोला भी गया है। रेलवे ने इस रेल प्रखंड के आमान परिवर्तन के लिए वन विभाग की आपत्तियों को देखते हुए पलिया-निघासन-बेलरायां बाईपास बनाने की योजना तैयार की थी। इसके अंर्तगत पलिया से पांच किमी. आगे जाकर रेल मार्ग को मझगई की तरफ मोड़ देना था और आगे निघासन व सिगाही होते हुए बेलरायां पहुंचकर उसे पुराने रेलमार्ग में जोड़ देना था। लेकिन नई रेल लाइन बिछाने की औपचारिकता इतनी बड़ी है कि इसमें एक दशक का समय तक लग सकता है। इसलिए रेलवे ने पिछले दो वर्ष तक इसमे न तो कोई बजट आवंटित किया और न ही काम किया। खुशी की बात यह है कि वर्ष 2021-22 के बजट में इस मद को पुन: शुरु कर दिया गया है और प्रतीकात्मक रूप से उसमे एक हजार का आवंटन भी किया गया है। खास बात यह है कि रेल महकमा वन विभाग की जिस आपत्ति को लेकर परेशान था उसका हल निकल आया है और यह काफी किफायती भी है। क्या कहते है जिम्मेदार

एनईआर रेलवे गोरखपुर के जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने बताया कि इस तरह का अभी केवल प्रस्ताव है। रेलवे बोर्ड की मंजूरी मिलने के बाद ही कोई कदम उठाया जा सकता है।

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