घाटों पर अतिक्रमण व गंदगी की चपेट में गोमती

जंगबहादुरगंज (लखीमपुर) : राजधानी की लाइफ लाइन गोमती नदी क्षेत्र के लगभग सभी घाटों पर अतिक्र

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Nov 2018 11:53 PM (IST) Updated:Mon, 12 Nov 2018 11:53 PM (IST)
घाटों पर अतिक्रमण व गंदगी की चपेट में गोमती
घाटों पर अतिक्रमण व गंदगी की चपेट में गोमती

जंगबहादुरगंज (लखीमपुर) : राजधानी की लाइफ लाइन गोमती नदी क्षेत्र के लगभग सभी घाटों पर अतिक्रमण के साथ गंदगी की चपेट में है। छठ पूजा सहित गंगा स्नान के पर्व पर हजारों श्रद्धालुओं के लिए यह गंदगी मुसीबत बनेगी। कई बार सफाई को लेकर जिम्मेदारों को भी अवगत कराया गया, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। गोमती की साफ-सफाई आदि पर क्षेत्रीय लोगों ने अपनी राय जागरण से साझा की।

कोट

आदि गंगा गोमती को बचाने के लिए गोमती नदी की सफाई होना चाहिए। नदी से अवैध बालू खनन बंद होना चाहिए। गोमती नदी में वैकल्पिक पानी छोड़ना चाहिए। जिससे पशु पक्षी नदी का पानी पीकर अपना जीवन यापन कर सके।

-महताब आलम

गोमती नदी आदि गंगा के रूप में जानी जाती है। माधव टांडा से लेकर लखनऊ तक इसके दोनों किनारों पर पड़ने वाले गांवों, कस्बों व शहरों के नागरिकों के लिए जीवनदायिनी के रूप में यह नदी जानी जाती है, लेकिन सरकार के द्वारा कभी भी इसका न संरक्षण किया गया और न इसकी तरफ देखा गया। नदी में जमी हुई गाद और गंदगी को साफ कराकर इसे गहरा करवा कर इसके तटबंध का निर्माण कराया जाए। जिससे गोमती अपने पुराने स्वरूप में लौट सके और लोगों को जीवन देने का कार्य कर सकें ।

-क्रांति कुमार ¨सह

वर्षा होने में पेड़ पौधों का अहम योगदान होता है तो सबसे जरूरी है पेड़ पौधे लगाए जाएं जिससे मानसून के समय में •ादा से •ादा वर्षा हो और हमारी नादियां सुरक्षित रहे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में सारी नदियां सूख सकती हैं।

-मुंशी अब्दुल जलील

गोमती नदी का संरक्षण बहुत आवश्यक है क्योंकि इस नदी से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है मढि़यां घाट व नैमिशारण्य जैसे धार्मिक स्थल व प्रदेश की राजधानी लखनऊ इस नदी से जुड़े हैं नदी की सफ़ाई बहुत आवश्यक है। प्रदेश की प्रमुख नदियों में इसका शुमार होता है।

-नबाब कल्बे हसन

गोमती नदी को बनबसा बैराज क्षेत्र शारदा नदी से जोड़ दिया जाए, जिससे शारदा नदी का पानी आने पर गोमती के जलस्तर में सुधार आने के साथ ही शारदा नदी में बाढ़ की समस्या से भी राहत मिल सकती है। साथ ही गोमती नदी के वास्तविक क्षेत्रफल की राजस्व विभाग द्वारा पैमाइश कराकर नदी के दोनों साइड में पौधरोपण किया जाए।

-शाहिद अली मंसूरी

chat bot
आपका साथी