डॉक्टर न डिग्री, चला रहे हैं अस्पताल

निघासन (लखीमपुर) : कस्बे में तमाम निजी अस्पताल ग्रामीणों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। इन अस्

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Nov 2018 11:23 PM (IST) Updated:Sun, 11 Nov 2018 11:23 PM (IST)
डॉक्टर न डिग्री, चला रहे हैं अस्पताल
डॉक्टर न डिग्री, चला रहे हैं अस्पताल

निघासन (लखीमपुर) : कस्बे में तमाम निजी अस्पताल ग्रामीणों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। इन अस्पतालों में न तो डिग्रीधारी डॉक्टर होते हैं और न यहां कोई सुविधाएं हैं, लेकिन डिग्रीधारी डॉक्टरों के नाम पर इन अस्पतालों का धंधा खुलेआम चल रहा है। कई अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव के बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर उन पर तमाम डॉक्टरों के नाम लिखे गए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इन अस्पतालों में इनमें से शायद ही कोई डॉक्टर बैठता है। कुछ अस्पताल प्रसव के लिए लाई गई कई जच्चा-बच्चा का जीवन संकट में डाल चुके हैं। बेहतर सुविधाओं वाले अस्पतालों के नाम पर कस्बे में लोगों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। सड़कों के किनारे ये अस्पताल का अपना धंधा सरेआम चला रहे हैं, उन पर होकर रोज तमाम अफसर निकलते हैं। कई बार शिकायतें भी हुईं लेकिन इन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इन अस्पतालों के बाहर लगे बोर्डों पर तमाम डिग्रीधारी डॉक्टरों के नाम लिखे रहते हैं, लेकिन अंदर या तो कोई दूसरा डॉक्टर मौजूद होता है या अप्रशिक्षित लोग इलाज करते हैं। कुछ अस्पतालों के संचालक अभी डॉक्टर नहीं हैं, पर अस्पताल में बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं। सीएचसी में मंडराने वाले इनके दलाल प्रसव के लिए आई महिला व उसके तीमारदारों को कमीशन के लालच में बहला-फुसलाकर इन अस्पतालों में बढि़या इलाज व सुविधाओं का हवाला देकर यहां भर्ती करा जाते हैं। उनका प्रसव बाहर बोर्ड पर लिखे डॉक्टर की जगह कोई अनट्रेंड दाई या किसी आशा वगैरह से करा दिया जाता है। प्रसव के नाम पर घरवालों से दस से तीस हजार रुपये तक जमा करा लिए जाते हैं। कुछ अस्पताल तो ऐसे हैं जहां मोटे पैसे के लालच में सिर्फ प्रसूताओं को ही भर्ती किया जाता है।

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केस एक : गो¨वदपुर फार्म की मनप्रीत कौर नामक महिला ने अक्टूबर 2017 में पांच महीने का गर्भ होने के बाद पेट में दर्द की वजह से कस्बे के एक अस्पताल में दिखाया। वहां उसका अल्ट्रासाउंड देखकर बच्चा खराब होने से अबार्शन की राय दी गई। मनप्रीत के मुताबिक उसका अबार्शन डॉक्टर की जगह एक अनट्रेंड नर्स ने कर दिया। उसकी आंतें और बच्चेदानी तक क्षतिग्रस्त हो गई।

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केस दो : एक और मामले में मुन्नालालपुरवा की महिला को पिछले साल कस्बे के एक निजी अस्पताल में बेहतर प्रसव सुविधाएं बताकर ले जाया गया। उसके भी बच्चे की मौत हो गई।

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जिम्मेदार की सुनिए

एसडीएम केशवनाथ गुप्त ने बताया कि कस्बे में संचालित अस्पतालों के शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। जल्द ही महकमे की संयुक्त टीम के साथ छापेमारी की जाएगी।

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