शाबाश शहाना! बच्चों के लिए कोरोना से भिड़ गई मां

र नही लगा कि कहीं वह खुद ने कोरोना का शिकार बन जाये । उसे तो बस अपने बच्चों की फिक्र थी ।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 May 2020 11:08 PM (IST) Updated:Sun, 24 May 2020 06:00 AM (IST)
शाबाश शहाना! बच्चों के लिए कोरोना से भिड़ गई मां
शाबाश शहाना! बच्चों के लिए कोरोना से भिड़ गई मां

लखीमपुर : यह कोरोना और उसके सफल इलाज की कहानी नहीं, बल्कि मां की ममता के बुलंद परचम की सत्यकथा है। 10 माह और तीन साल उम्र के अपने कोरोना संक्रमित बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए शहाना काल के सामने ढाल बनकर खड़ी हो गई। उसकी ममता को डॉक्टरों और दवाओं का बल मिला तो ईद से पहले दोनों बच्चों को कोरोना के जबड़ों से निकालकर वह घर आ गई। बीमारी में भी बच्चे ममता के मजबूत कवच से पलभर भी बाहर नहीं रहे। फिर भला कोरोना उनका क्या बिगाड़ सकता था।

मुंबई में कोरोना संकट गहराने पर पसगवां (लखीमपुर खीरी) इलाके के ग्राम बरखेरिया जाट की शहाना अपने प्रवासी श्रमिक पति गुड्डू, 10 माह के बेटे सुलेमान और तीन साल की बेटी पलक के साथ 12 मई को गांव लौटी। घर पहुंचने पर नियमानुसार हुई जांच की रिपोर्ट 16 मई को आई तो परिवार सदमे में डूब गया। जांच में दोनों बच्चों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। यह जानकारी मिलने पर डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने शासन से विशेष अनुमति लेकर 17 मई को दोनों बच्चों को कोविड अस्पताल से निकालकर एसजीपीजीआइ, लखनऊ में भर्ती करवाया। धरती के भगवान ने भी संजीदगी दिखाई। 19 मई को पहली और 22 मई को दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आ गई और ईद से ठीक पहले दोनों बच्चे चंगे होकर घर पहुंच गए।

पल भर भी नहीं छोड़ा जिगर के टुकड़ों को

शहाना ने 16 मई को रिपोर्ट पॉजिटिव आने से लेकर 22 मई को वापस घर पहुंचने तक एंबुलेंस, एल वन हॉस्पिटल और एसजीपीजीआइ में अपनी जिदगी की परवाह छोड़कर बच्चों को पलभर भी अकेला नहीं छोड़ा। उसकी हर सांस मासूमों के लिए खुदा की इबादत में लगी थी। दवा के साथ उसकी दुआ ने भी असर दिखाया और अंतत: उसकी ममता जीत गई।

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