घर की रसोई से संसद तक किया चुनौतियों से मुकाबला

वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण वर्मा की पत्नी रेखा वर्मा पर जब राजनीति में तो कई कठिनाईयां थीं। खुद रेखा एक कुशल गृहणी के अलावा राजनीति का ककहरा सीख रहीं थीं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 10:16 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 05:02 AM (IST)
घर की रसोई से संसद तक किया चुनौतियों से मुकाबला
घर की रसोई से संसद तक किया चुनौतियों से मुकाबला

लखीमपुर: साल 2014 में जब पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी अपना दायरा बढ़ा रही थी और पूरा देश मोदी-मोदी का नाम रटने लगा था तभी खीरी जिले की धौरहरा संसदीय क्षेत्र में भाजपा की अगुवाई के लिए अरुण वर्मा का नाम दौड़ में सबसे आगे था। इसी दौरान एक मनहूस खबर ने दस्तक दी और भाजपा नेता व पूर्व जिला पंचायत सदस्य अरुण वर्मा का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। जहां पार्टी अवाक थी वहीं परिवार पर दुखों का बड़ा पहाड़ टूट गया था। वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण वर्मा की पत्नी रेखा वर्मा पर जब राजनीति में आने और पति की विरासत को आगे बढ़ाने का दायित्व आया तो वह सांसत में पड़ गईं। बेटा अनिमेष अभी पूरी तरह से समझदार नहीं था और खुद रेखा एक कुशल गृहणी के अलावा राजनीति का ककहरा सीख रहीं थीं। हालांकि रेखा के लिए राजनीति से सरोकार कोई नया नहीं था वह साल 2002 से 2007 एवं 2009 से 2012 तक वह पसगवां ब्लॉक की प्रमुख रहीं थीं लेकिन पति के बीच राह में छोड़ जाने के दुख ने उनको जैसे तोड़ दिया था। इस दौरान स्वजनों व पार्टी के नेताओं ने उनको समझाया कि जिस तरह से उनके पति ने जनसेवा का बीड़ा उठाया था उस काम को आगे बढ़ाना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। लिहाजा पार्टी के अनुरोध पर वह चुनाव लड़ने को तैयार हो गईं। साल 2014 में भीषण मोदी लहर और पति की सहानुभूति में रेखा वर्मा धौरहरा संसदीय क्षेत्र से भारी मतों से जीतकर आईं। उन्होंने उस वक्त के कददावर सपा नेता व लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे आनंद सिंह भदौरिया, पूर्व सांसद दाउद अहमद व पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद जैसे दिग्गजों को हराया। सदन पहुंची रेखा ने लोगों की आवाज को मजबूती के साथ पांच साल तक उठाया। जिसके बल पर पार्टी ने उनको एक बार फिर 2019 में धौरहरा की जिम्मेदारी दी। इस चुनाव में भी रेखा ने करीब पौने दो लाख मतों से रेखा वर्मा ने कई दिग्गजों को हराया। करीब पौने दो लाख मतों से जीतीं रेखा ने इस बार संगठन को मजबूत करने में भी अहम किरदार निभाया और संगठन के लिए भी काम करना शुरू किया। जिसका परिणाम ये निकला की पहली बार जिले से कोई बड़ा पद भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी में हासिल हुआ।

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