मुख्यमंत्री जी कब बदलेगी यह तस्वीर.

कहां तो तय था चिरागा हर शहर के लिए, यहां चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए...आज पर्दों की तरह यह दीवार हिलने लगी, शर्त लेकिन थी कि बुनियाद हिलनी चाहिए..। कवि दुष्यंत कुमार की यह लाइनें कुशीनगर जिले के मुसहर बस्तियों के लिए सटीक बैठती है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Sep 2018 11:40 PM (IST) Updated:Sat, 15 Sep 2018 11:40 PM (IST)
मुख्यमंत्री जी कब बदलेगी यह तस्वीर.
मुख्यमंत्री जी कब बदलेगी यह तस्वीर.

अजय कुमार शुक्ल,कुशीनगर: कहां तो तय था चिरागा हर शहर के लिए, यहां चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए...आज पर्दों की तरह यह दीवार हिलने लगी, शर्त लेकिन थी कि बुनियाद हिलनी चाहिए..।

कवि दुष्यंत कुमार की यह लाइनें कुशीनगर जिले के मुसहर बस्तियों के लिए सटीक बैठती है। भूख व कुपोषण के तिलिस्म में मुसहर बस्तियों में सिसकते जीवन की बदरंग तस्वीर एक बार फिर सामने आई है। यह वही मुसहर बस्तियां हैं, जिसके कायाकल्प की बात एक वर्ष पूर्व जिले में आए सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने कही थी और अपने हाथों इसका शुभारंभ भी किया था। कभी गोरखपुर के सांसद रहते सूबे के मुखिया ने ही इन मुसहर बस्तियों में होने वाली मौतों के लिए भूख व कुपोषण को जिम्मेदार बताते हुए सड़क से सदन तक आवाज उठाई थी। एक बार फिर पडरौना तहसील के जंगल खिरकिया में दो सगे मुसहर भाइयों फेंकू 22 वर्ष, पप्पू 16 वर्ष की मौत ने यह बताया है कि इन बस्तियों के हालात आज भी पूरी तरह से नहीं बदले हैं। हर बार की तरह मौतों को लेकर प्रशासन का वही पुराना राग सामने आया है कि मौत का कारण बीमारी है। प्रशासन के यह वही पुराने बोल हैं, जिसको कभी सूबे के मुखिया ने विपक्ष की भूमिका में झूठा करार दिया था। कसया तहसील के गांव मैनपुर खदही में तीन घंटे तक आंदोलन कर प्रशासन को घुटनों के बल खड़ा कराया था। अब यह और बात है कि अब वह खुद सत्ता के मुखिया हैं तो प्रशासन के इस बोल से कितना बाबस्ता रखते हैं। प्रशासन की यह दलील ही सही मान ली जाए कि मौत बीमारी से हुई तो क्या इसके लिए जिम्मेदार सरकार या प्रशासन नहीं होगा। यदि होगा तो फिर बीमारी के नाम पर पल्ला झाड़ने से ऐसे तमाम बदहाल मुसहर परिवारों को न्याय कैसे मिलेगा। अपने दो जवानों को खोने वाली मां सोनवा के आंसू कैसे पोछे जाएंगे। इन तमाम सवालों को इन दो मौतों ने खड़ा किया है, जिसका माकूल जवाब न तो प्रशासन के पास है और न ही शासन के।

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-कुशीनगर में भूख व कुपोषण से हुई मुसहरों की मौतों का यह आंकड़ा है जिस पर सियासत खूब गरम हुई और इनकी बदहाली दूर करने के दावे भी। इससे इतर हुआ कुछ नहीं, तो प्रशासन ने कभी इन मौतों के लिए भूख व कुपोषण को जिम्मेदार माना ही नहीं, केवल बीमारी कह कर किनारा कसता रहा।

-वर्ष 2004 विकास खंड दुदही, ग्राम दोघरा निवासी नगीना, श्याम लाल

-वर्ष 2005 विकास खंड दुदही, ग्राम घूरपट्टी में शिवनाथ, मंझरिया में बाबूराम, बासदेव, विश्वनाथ एवं मिर्ची की मौत, ग्राम जंगल शंकरपुर में सपरजिया, जमुनी, विशुनपुरा में राजेदव, हाटा विकास खंड के ग्राम सिकटिया में ज्ञान चौहान, रामजन्म की मौत।

-वर्ष 2006 विकास खंड दुदही, ग्राम दुदही में राजेन्द्र, गौरीश्रीराम में जमुनी, जनकपतिया, रामजीत, शिवनाथ, विशुनी, इनरपतिया, घूरपट्टी में शिव बचन, प्रभावती, ¨वध्यांचल, राजबली, पूनम, गोदवा, सुरेश, बरियापट्टी में बहारन, कुबेर, भुआल, मुखी, नारायन, पडरौना विकास खंड के ग्राम लक्ष्मीपुर में शंकर, बरवाकला में गल्लू, विशुनपुरा विकास खड के गांव पिपरा बुजुर्ग में वंशी, सेबराती, रामकोला के सोहरौना में बासदेव शर्मा व तमकुही के करजही में महातम की मौत।

-वर्ष 2007, विकास खंड विशुनपुरा, ग्राम बलकुड़िया में वंशी की मौत

-वर्ष 2008, दोघरा मुसहरपट्टी-विजय, नीपू, दीपू,

-वर्ष 2009, विकास खंड दुदही के ग्राम कोरया में भुआल, दशहवा में झापस, रामकोला विकास खंड के सिधावे माफी में रीमा, मोतचीक विकास खंड के ग्राम तुर्कडीहा में सोहनलाल, नेबुआ नौरंगिया में रामहरख व कसया विकास खंड के ग्राम मैनपुर धोबहा में ब्रह्ममदेव मुसहर की मौत

-वर्ष 20011 में ग्राम ठाढ़ीभार में कैलाश, नाहर छपरा निवासी मीना, प्रभु व सुनरी की मौत

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-जिले में भुखमरी जैसी कहीं कोई बात ही नहीं है। दोनों मुसहर भाइयों की मौत टीबी से हुई है। सभी मुसहर बस्तियों में विशेष अभियान चलाकर सबके स्वास्थ्य की जांच कराई जा रही है तो वहीं सरकारी सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही हैं। पोषाहार बांटा जा रहा है।

-डॉ. अनिल कुमार ¨सह, जिलाधिकारी

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