नर्सरी से करिए बोआई, गन्ने से बढ़ेगी कमाई

जिले के रामकोला विकास खंड में पारंपरिक गन्ने की खेती में नया प्रयोग शुरू किया गया है। महाराष्ट्र की तर्ज पर की जाने वाली इस पारंपरिक खेती से लागत घट जाएगी और मुनाफा बढ़ जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Nov 2019 11:47 PM (IST) Updated:Tue, 05 Nov 2019 11:47 PM (IST)
नर्सरी से करिए बोआई, गन्ने से बढ़ेगी कमाई
नर्सरी से करिए बोआई, गन्ने से बढ़ेगी कमाई

कुशीनगर : जिले के रामकोला विकास खंड में पारंपरिक गन्ने की खेती में नया प्रयोग शुरू किया गया है। महाराष्ट्र की तर्ज पर की जाने वाली इस पारंपरिक खेती से लागत घट जाएगी और मुनाफा बढ़ जाएगा।

- ऐसे लाभकारी बनेगी खेती

नर्सरी के माध्यम से पौधा तैयार कर बोआई की जाएगी। एक एकड़ में 20 से 25 क्विंटल की जगह छह से सात क्विंटल ही गन्ना बीज लगेगा। रामकोला त्रिवेणी चीनी मिल की टीम गांव जाकर किसानों को नर्सरी तैयार करने की विधि बता रही है। लक्ष्मीपुर उर्फ कुर्मीपट्टी गांव के लक्ष्मीनारायण गोविद राव, महेश राजभर, भोजछपरा के महेश दूबे आदि की नर्सरी तैयार हो रही है।

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ऐसे तैयार होगी नर्सरी

- गन्ने की एक आंख की गेड़ी काटी जाएगी। बीज को शोधित करने के लिए थायोफिनेट मिथाइल दवा का निर्धारित मात्रा में घोल बना बर्तनों में डूबो कर गेंड़ी को 20 मिनट रखा जाएगा। 18 से 20 वर्गमीटर समतल भूमि पर उर्वरक की बोरियां या प्लास्टिक बिछाकर सड़े गोबर की खाद व भुरभुरी मिट्टी एक से डेढ़ सेंटीमीटर मोटी बिछा दी जाएगी। गेंड़ियों को सीधी कतार में रख कम मात्रा में मिट्टी डाली जाएगी। जरूरत पड़ने पर पानी की फुहार देनी होगी। 25 से 30 दिन में पौधे बोआई के लिए उपयुक्त होंगे।

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कम आएगी लागत, बढ़ जाएगा मुनाफा

-त्रिवेणी चीनी मिल के महाप्रबंधक (गन्ना) दिनेश राय व उप गन्ना प्रबंधक संजय सिंह ने कहा कि इस विधि से लागत कम आएगी और प्रति एकड़ करीब 350 क्विंटल गन्ने का उत्पादन होगा। महाराष्ट्र से आए एक अधिकारी की पहल पर इस विधि का प्रयोग किया जा रहा है।

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