कुशीनगर में गरीबों का पेट भरती है 'कृष्णा की रसोई'

कुशीनगर में दो वर्ष पूर्व पति संग गई थीं मथुरा तभी मन में आया विचार नगर में भ्रमण कर भूखों की करती हैं तलाश।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 12:28 AM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 12:28 AM (IST)
कुशीनगर में गरीबों का पेट भरती है 'कृष्णा की रसोई'
कुशीनगर में गरीबों का पेट भरती है 'कृष्णा की रसोई'

कुशीनगर: गरीबों व असहायों का दर्द नगर के राधाकृष्ण मोहल्ला निवासी कृष्णा शुक्ला से देखा नहीं जाता। उन्होंने बीते दो साल से भूखों को भोजन कराने का बीड़ा उठा रखा है। उनके घर की रसोई में परिवारीजनों के साथ गरीबों के लिए भी भोजन बनता है।

55 वर्षीय कृष्णा गृहणी हैं। उनके पति हरिश्चंद्र रजिस्ट्री कार्यालय हाटा में वरिष्ठ लिपिक पद पर कार्यरत हैं। वर्ष 2018 में पत्नी संग वे मथुरा गए थे। एक सप्ताह की इस धार्मिक यात्रा के बाद कृष्णा जब घर लौटीं तो उनके मन में गरीबों, असहायों को भोजन कराने का विचार आया, तभी से वह श्रद्धा व सेवा के साथ इस काम में जुट गईं। उनकी रसोई में प्रतिदिन कम से कम 10 से 15 लोगों का अतिरिक्त भोजन बनता है। अगर खाने आए लोगों की संख्या इससे अधिक हो गई तो रसोई का काम फिर शुरू हो जाता है। मोहल्ले व आस-पास के लोग अब उन्हें रसोई वाली कृष्णा के नाम से भी बुलाते हैं।

इसके लिए सुबह आठ तो शाम को छह बजे वह घर से भूखों की तलाश में नगर में निकल जाती हैं। जैसे ही पता चलता है कि वहां बुजुर्ग, महिला या कोई बच्चा भूखा है वह तत्काल वहां पहुंच कर उसका दुख, दर्द जानती हैं। फिर उसे अपने साथ घर ले आती हैं। नगर में निकलते ही लोगों को अगर किसी भूखे व्यक्ति के बारे में पता रहता है तो वे उन्हें बताने लगते हैं।

कृष्णा शुक्ला कहती हैं कि परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं है। ईश्वर की प्रेरणा से मन में यह विचार आया तो मैं यह काम करने लगी। हमारे लिए यही पूजा है। जब तक सांस रहेगी घर की रसोई में भूखों के लिए भोजन बनता रहेगा। बेटा डा.विकास व बहू शिल्पा लक्ष्मी दोनों डाक्टर हैं। दोनों बेटियां अधिवक्ता हैं। जब ये घर आते हैं तो खुद लोगों को बैठाकर आदर के साथ भोजन कराते हैं।

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