केला किसानों पर संकट, बारिश ने बिगाड़ी किस्मत

कुशीनगर: केला उत्पादक किसान संकट में हैं। बारिश ने किसानों की किस्मत बिगाड़ दी है। लह

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Aug 2017 11:03 PM (IST) Updated:Sun, 20 Aug 2017 11:03 PM (IST)
केला किसानों पर संकट, बारिश ने बिगाड़ी किस्मत
केला किसानों पर संकट, बारिश ने बिगाड़ी किस्मत

कुशीनगर: केला उत्पादक किसान संकट में हैं। बारिश ने किसानों की किस्मत बिगाड़ दी है। लहलहा रही फसल से बेहतर उत्पादन की आस लगाए किसानों के चेहरे पर अब ¨चता की लकीरें साफ दिखने लगी हैं। एक पखवारे से घुटने भर पानी में खड़े केले की पत्तियां पीली व भूरी पड़ने लगी हैं तो मिट्टी गिली होने से हल्की हवा में केला जमीन पर ढ़हने भी लगा है। नेबुआ नौरंगिया व खड्डा विकास खंड के केला किसानों की लाखों की पूंजी डूबने से नींद उड़ गई है। चीनी मिलों द्वारा गन्ना मूल्य भुगतान में हीलाहवाली से आजिज किसानों ने केला उत्पादन को हाथों हाथ लिया। बीते वर्ष बेहतर लाभ अर्जित करने वाले किसानों ने इस वर्ष केला का क्षेत्रफल इस उम्मीद में बढाया कि शादी, इलाज, शिक्षा के अलावा जरूरी कार्य के लिए बैंकों व साहूकारों से लिए कर्ज की भरपाई सहज ही हो जाएगी तो आर्थिक तंगी से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन शायद कुदरत को यह मंजूर नहीं हुआ। एक पखवारे पूर्व तक केला की फसलों को देख योजनाएं बनाने वाले किसान मुंह की खां चुके हैं। फसल देख पैर तले जमीन खिसक गई है। लाखों खर्च कर चुके किसान माथे पर हाथ लगाकर ¨चता में डूब रहे हैं।

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अंतिम दौर में था केला

-नेबुआ नौरंगिया व खड्डा विकास खंड में गत वर्ष रोपे गए केले 70 से 80 फीसद तक तैयार हो चुके थे। एक माह में यह पूरी तरह से काटने के लायक हो जाते, लेकिन बारिश ने पूरी फसल को चौपट कर दिया। इनका प्रयोग अब सिर्फ सब्जी के रूप में ही किया जा सकता है। जिससे इनकी बिक्री मूल्य घटकर आधी ही रह जाएगी।

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लाखों का कारोबार चौपट

-नेबुआ नौरंगिया व खडडा विकास खंड में सैकड़ों एकड़ केले की फसल प्रभावित होने से किसानों का लाखों रुपये का कच्चा कारोबार चौपट हो गया है। किसानों को अब कुछ भी नहीं सूझ रहा है। खेत में ढह चुके केलों को देख किसान औने-पौने दाम पर सब्जियों के लिए बेच रहे हैं। पूंजी फंसने से किसान तनाव का जीवन जीने को विवश हैं।

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क्या कहते हैं किसान

-देवगांव निवासी हमीद अंसारी कहते हैं एक माह में केला तैयार हो जाता तो अच्छा लाभ देता जिससे न सिर्फ डंप हो चुकी पूंजी निकल आती बल्कि लाभ अर्जित होने से लिए गए कर्ज की भरपाई भी हो जाती, लेकिन बारिश ने बनी बनाई योजना को धूल धूसरित कर दिया है। ¨चता में नींद नहीं आ रही है। धरनी पट्टी निवासी केला उत्पादक दीपराज कहते हैं केला ने इस सीजन में कलेजा निकाल कर रख दिया है। रमेश कुशवाहा कहते हैं केला ढ़हने से किसानों का बड़ा नुकसान हो गया। दिवाकर कुशवाहा कहते हैं कर्ज की भरपाई अब कैसे हो सकेगी यह ¨चता सता रही है।

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