तीन माह में कैसे होगी छह महीने की तैयारी

कुशीनगर : ठंड बढ़ने के साथ ही अबकी उप्र बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले लाखों छात्र छात्राओं के

By Edited By: Publish:Thu, 30 Oct 2014 06:05 PM (IST) Updated:Thu, 30 Oct 2014 06:05 PM (IST)
तीन माह में कैसे होगी छह महीने की तैयारी

कुशीनगर : ठंड बढ़ने के साथ ही अबकी उप्र बोर्ड परीक्षा में शामिल

होने वाले लाखों छात्र छात्राओं के पसीने छूटने लगे हैं। सीबीएसई से सीधी टक्कर में युवाओं का भविष्य दांव पर लग गया है। होनहारों को फिक्र हो रही है कि तीन माह में छह माह के पाठ्यक्रम की तैयारी कैसे पूरी होगी। अधूरी तैयारी से 10वीं व 12वीं बोर्ड का सवाल कैसे दिया जाएगा? एक अप्रैल से नए सत्र को लेकर किए जा रहे उलटफेर से परीक्षार्थियों के होश उड़े हुए हैं।

उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद के अहम निर्णय से बोर्ड परीक्षार्थी संकट में हैं। सीबीएसई के तर्ज पर माध्यमिक शिक्षा का शैक्षणिक सत्र 2015-16 एक जुलाई की बजाय तीन माह पूर्व एक अप्रैल 2015 से ही शुरू करने की कवायद तेज हो गई है। मार्च से शुरू होकर अप्रैल-मई तक संचालित होने वाली बोर्ड परीक्षाएं अबकी बार 15 फरवरी से 20 मार्च 2015 के मध्य कराए जाने को लेकर महकमा में हलचल मची है। जुलाई से शुरू चालू शैक्षणिक सत्र में शिक्षण कार्य बरसात, हुदहुद, दशहरा, दीपावली के लंबे अवकाश के कारण अभी पटरी पर पूरी तरह से नहीं चढ़ सकी कि बोर्ड परीक्षा का भूत युवा होनहारों को सताने लगा है। दसवी व बारहवीं की कक्षाओं के पाठ्यक्रम अभी 30 फीसद भी पूरे न हो सके हैं। सवाल लाजिमी है कि 70 फीसद अधूरे विषयों की पढ़ाई शेष नवंबर, दिसंबर व जनवरी तीन माह में कैसे पूरी हो पाएगी? अपने को लेकर सतर्क छात्र छात्राओं के होश टक्कर के चक्कर में उड़ गए हैं।

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क्या कहते हैं परीक्षार्थी

-दसवीं कक्षा की छात्रा नामिका सिंह कहती है एक अप्रैल से ही नया सत्र शुरू होने की जहां खुशी है वही कम समय में अधूरे पाठ्यक्रम को पूरा होने को लेकर चिंता सता रही है। कहती है अंक कम मिले तो निश्चित ही करिअर पर खासा प्रभाव पड़ेगा।

-दसवीं के छात्र अनिमेष गुप्ता कहते हैं बोर्ड का पहला पड़ाव है। डर तो पहले से लग रहा था अब सत्र परिवर्तन के नए प्रयोग से यहां तो सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने जैसे हालत सामने आन पड़े हैं। अतिरिक्त समय निकालकर कम समय में तैयारी को लेकर अभी से पूरा जोर लगाना होगा।

-12 वीं के अभिमन्यु तिवारी कहते हैं हाईस्कूल की परीक्षा में मिले कम अंक की भरपाई के लिए इस बारहवी से खास उम्मीद लगी थी, लेकिन फरवरी में ही परीक्षा शुरू हो जाएगी इसकी चिंता अभी से सता रही है। उधर पाठ्यक्रम पूरा कराने में शिथिलता ने रातों की नींद उड़ा दी है। अनामिका शुक्ला के चेहरे पर चिंता साफ दिख रही है। कम अंक मिले तो करिअर की उड़ाने कैसे पूरी होगी? सत्र बदलाव को लेकर घबड़ाहट होने लगी है।

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