इस्लाम हिसा की नहीं देता इजाजत : शहर काजी

कौशांबी के शहर काजी (सुन्नी) मोहम्मद खुशनूद आलम ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 Jan 2020 11:05 PM (IST) Updated:Fri, 17 Jan 2020 11:05 PM (IST)
इस्लाम हिसा की नहीं देता इजाजत : शहर काजी
इस्लाम हिसा की नहीं देता इजाजत : शहर काजी

कौशांबी के शहर काजी (सुन्नी) मोहम्मद खुशनूद आलम ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सीएए और एनआरसी के नाम पर हिसा करने वालों के खिलाफ फतवा जारी किया है। उन्होंने कहा कि इस्लाम किसी को हिसा की इजाजत नहीं देता। हुकूमत तक अपनी बात पहुंचाने के अन्य कई तरीके हैं। कोई समस्या है तो शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात पहुंचाएं।

सीएए और एनआरसी के नाम पर पूरे देश में खलबली है। सत्ता दल के लोग जहां इसे देशहित में बताते हुए रैली निकालकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वहीं, विपक्ष इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहा है। देश के कई हिस्सों में सीएए और एनआरसी के नाम पर हिसक घटनाएं हो चुकी है। कई स्थानों पर अब भी प्रदर्शन किए जा रहे हैं। ऐसे में कौशांबी के शहर काजी मोहम्मद खुशनूद आलम ने हिसक घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ फतवा जारी किया है। उन्होंने कहा कि हुकूमत देश के हित के लिए कोई फैसला लेती है तो इसको लेकर कोई मतभेद है तो विरोध जताने के कई तरीके है। हिसक घटनाओं से या फिर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर विरोध जताना गलत है। उन्होंने कहा कि वह धार्मिक आधार पर लागू किए जाने वाले किसी कानून का वह समर्थन नहीं करते हैं। उन्होंने असम का उदाहरण देते हुए कहा कि असम में एनआरसी लागू है। यहां मुस्लिमों से कही अधिक संख्या हिदुओं की है, जो परेशान हो रहे हैं। हुकूमत कोई भी कानून लाग करे, लेकिन इसका धर्म के आधार पर बंटवारा नहीं किया जाना चाहिए।

बताया कि वह शहरे काजी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उनको यह अधिकार मुफ्ती अख्तर रजा खान काजिऊल कुजात (इस्लामिक चीफ जस्टिस) ने दिया है। जिले का कोई भी इस्लाम धर्म का पीड़ित महिला और पुरुष उनके पास धार्मिक आधार पर न्याय के लिए आ सकता है। बताया कि महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं को लेकर इस्लाम में सख्त कानून है। जिले में इसका पालन होगा।

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