मलिहाबाद की तर्ज पर होगी लीची की बागवानी

जिला उद्यान विभाग मलिहाबाद की तर्ज पर लीची की बागवानी की तैयारी में जुट गया है। किसानों की भूमि चिह्नित कर गांव का चयन कर लिया हैं। जनपद में परंपरागत खेती के साथ ही लीची की बागवानी की जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 11:30 PM (IST) Updated:Tue, 11 Aug 2020 11:30 PM (IST)
मलिहाबाद की तर्ज पर होगी लीची की बागवानी
मलिहाबाद की तर्ज पर होगी लीची की बागवानी

कौशांबी : जिला उद्यान विभाग मलिहाबाद की तर्ज पर लीची की बागवानी की तैयारी में जुट गया है। किसानों की भूमि चिह्नित कर गांव का चयन कर लिया हैं। जनपद में परंपरागत खेती के साथ ही लीची की बागवानी की जाएगी। उद्यान विभाग ने लीची के पौधों के लिए मुख्य उद्यान विशेषज्ञ औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र मलिहाबाद से संपर्क किया है।

जिला उद्यान अधिकारी सुरेंद्र राम भाष्कर ने बताया कि जनपद केले की खेती में सबसे आगे माना जाता है। डीएम मनीष कुमार वर्मा के निर्देश पर अब कड़ा ब्लाक के केसरिया गांव में लीची का उत्पादन किया जाएगा। शुरुआत में पांच हेक्टेयर भूमि पर बागवानी की योजना है। इसके लिए गांव के दिवारी लाल, दीपक कुमार, शिव पूजन, इंद्रराज समेत सात किसानों को चयनित किया गया है। लीची की बागवानी में 23004 रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत आएगी। बागवानी करने वाले किसानों को प्रथम वर्ष 11502 रुपये का अनुदान दिया जाएगा। वहीं दूसरे साल 90 प्रतिशत पौधे जीवित (अनुरक्षण) रहने पर 8434 रुपये और तीसरे साल भी 8434 रुपये की अनुदान की राशि दी जाएगी। कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. मनोज सिंह ने बताया कि लीची बागवानी के लिए गहरी दोमट मिट्टी उत्तम रहती है। बलुई या चिकनी मिट्टी में इसकी पैदावार ज्यादा होती है। इसके लिए जल निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए। भूमि कड़ी परत या चट्टान वाली नहीं होनी चाहिए क्योंकि अम्लीय मिट्टी में लीची का पौधा काफी तेज गति से बढ़ता है। मिट्टी में चूने की कमी नहीं होनी चाहिए। लीची का जुलाई से लेकर अक्टूबर माह तक रोपण किया जाना चाहिए। लीची के बाग में सिचाई का पर्याप्त प्रबंधन करना चाहिए। जड़ों में पानी और स्प्रे फायदेमंद रहता है। इसके अलावा फूल आने पर दो स्प्रे दो ग्राम प्रति लीटर पानी में फफूंदी नाशक बोरेक्स घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

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