जब बेटे का सही इलाज न होने पर दौड़ी चली आई थीं रसूलन बीबी Kanpur New

वीर अब्दुल हमीद के दूसरे नंबर के बेटे कानपुर में ही हैं रहते आर्डनेंस फैक्ट्री से हो चुके हैं सेवानिवृत्त।

By Edited By: Publish:Sat, 03 Aug 2019 01:35 AM (IST) Updated:Sat, 03 Aug 2019 10:17 AM (IST)
जब बेटे का सही इलाज न होने पर दौड़ी चली आई थीं रसूलन बीबी Kanpur New
जब बेटे का सही इलाज न होने पर दौड़ी चली आई थीं रसूलन बीबी Kanpur New

कानपुर, जेएनएन। वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी का कानपुर से गहरा नाता रहा है। इसकी वजह उनके दूसरे नंबर के बेटे अली हसन हैं, क्योंकि अली ने लंबे समय तक कानपुर की आर्डनेंस फैक्ट्री में नौकरी की और सेवानिवृत्ति के बाद यहीं सहकार नगर में बस गए। मां के निधन का समाचार सुनते ही अली हसन परिवार के साथ गाजीपुर अपने गांव के लिए रवाना हो गए।


वीर अब्दुल हमीद के चार बेटे हैं। सबसे बड़े बेटे जैनुल हसन सेना में, दूसरे नंबर के अली हसन आर्डनेंस फैक्ट्री में, तीसरे नंबर के तलत महमूद सेना में और सबसे छोटे बेटे जुनैद आलम बनारस कैंट बोर्ड में कार्यरत हैं। दूसरे नंबर के बेटे अली को छोड़कर बाकी तीनों भाइयों के परिवार गाजीपुर स्थित अपने गांव धामूपुर में रहते हैं। गांव रवाना होने से पहले ब्रह्मनगर चौराहे के पास सहकार नगर में रहने वाले अली हसन ने बताया कि फिलहाल वह चलने-फिरने में लाचार हैं, क्योंकि पिछले साल 20 मई को सड़क दुर्घटना में एक पैर गंभीर रूप से घायल हो गया था। जो कटने की स्थिति में पहुंच गया था।
उन्होंने बताया कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइ) द्वारा इलाज में लापरवाही की सूचना पर 95 वर्ष की आयु में मां गाजीपुर से दौड़ी चली आई थीं। उनके आने के बाद ईएसआइ के अफसर जागे और बेहतर इलाज मिल सका। बकौल अली हसन मां की वजह से ही दोबारा जीवन मिला, नहीं तो जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। उन्होंने बताया कि मां परिवार के अलावा समाज के लिए भी आवाज बुलंद करती थीं, इसीलिए सभी उनका सम्मान करते थे। अली हसन ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं वीर अब्दुल हमीद का बेटा हूं। पिता जी के निधन के बाद मां ने उसी बहादुरी के साथ चार बेटों व एक बेटी को पालापोसा और कुछ करने लायक बनाया। 

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