Bikru Case Latest: हिस्ट्रीशीटर बनने से पहले क्या करता था विकास दुबे, 82 वर्षीय सीओ ने बयां की पूरी कहानी

बिकरू कांड में एसआइटी की जांच में आरोपित बनाए गए 82 वर्षीय सीओ बृजन सिंह मुरादाबाद से बयान देने के लिए कानपुर आए। उनका पता लगाने के लिए कानपुर पुलिस को खासा मशक्कत करनी पड़ी तब उनका नाम पता चल पाया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 23 Mar 2021 08:45 AM (IST) Updated:Tue, 23 Mar 2021 08:45 AM (IST)
Bikru Case Latest: हिस्ट्रीशीटर बनने से पहले क्या करता था विकास दुबे, 82 वर्षीय सीओ ने बयां की पूरी कहानी
विकास दुबे की वर्षों पुरानी हकीकत बताई।

कानपुर, जेएनएन। बिकरू कांड में एसआइटी की जांच में एक अनाम सीओ के नाम की गुत्थी सुलझी तो सामने आए 82 वर्षीय सीओ ने विकास दुबे की पुरानी जिंदगी की हकीकत बयां की है। हिस्ट्रीशीटर गैंगस्टर बनने से पहले विकास दुबे क्या करता था, उन्होंने अपने बयान में इसकी जानकारी दी है। विकास दुबे के जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद से अबतक सीओ रहे 11 नाम एसआइटी की जांच में सामने आए थे। इसमें तत्कालीन रसूलाबाद के सीओ का पता नहीं चल पा रहा था।

इस तरह सामने आया अनाम सीओ का नाम

वरिष्ठ आइएस संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआइटी ने बिकरू कांड की रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। इसमें एसआइटी ने 11 सीओ की भूमिका पर सवाल उठाए थे। जांच रिपोर्ट नौ के नाम थे और दो सीओ की तैनाती अवधि का जिक्र किया गया था। इसके बाद दावा किया गया कि 24 जुलाई 1997 को बिल्हौर और 12 जुलाई 1997 को रसूलाबाद में तैनात रहे सीओ एक ही थे। पड़ताल के बाद 24 साल पुराने एक दस्तावेज में हस्ताक्षर से बृज सिंह नाम सामने आया लेकिन पुलिस मुख्यालय में इस नाम का रिकार्ड ही नहीं होने पर गुत्थी उलझ गई।

लंबी चली जांच के बाद सामने आया है कि तत्कालीन सीओ का नाम बृज सिंह नहीं बल्कि बृजन सिंह था। बाद में पुलिस मुख्यायल से भी इस नाम की पुष्टि हो गई। वह वर्ष 1999 में गाजियाबाद से सेवानिवृत्त हुए थे और माैजूदा समय में मुरादाबाद में परिवार के साथ रह रहे हैं। जांच अधिकारी एसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार ने बयान के लिए उन्हें कानपुर बुलवाया, बुजुर्ग पुलिस अफसर आए और कागजात देखकर उसमें अपने हस्ताक्षर न होने की बात कही थी। इसके साथ ही एसआइटी की जांच रिपोर्ट संबंधी पत्रावलियां देखने के बाद ही बयान देने को कहा था।

विकास को भूले नहीं तत्कालीन सीओ

82 साल के रिटायर्ड सीओ बृजेन सिंह ने अपने बयान में दी जानकारी से बिकरू कांड के आरोपित विकास दुबे से जुड़ी नई सच्चाई सामने आई है। मुरादाबाद सिविल लाइंस के फकीरपुर में निवास कर रहे बृजेन सिंह 31 जुलाई 1999 को गाजियाबाद से सहायक सेनानायक 41वीं वाहिनी पीएसी पद से रिटायर हुए थे। वर्ष 1997 में वह कानपुर देहात के रसूलाबाद सर्किल में बतौर सीओ तैनात थे। अब उनकी उम्र 82 साल है। इस उम्र में उन्हें अधिक तो याद नहीं है, मगर विकास दुबे को वह भूले भी नहीं हैं।

रेडियो रिपेरिंग के नाम पर करता था उपकरणों की तस्करी

अपने बयानों में उन्होंने बताया कि उनकी तैनाती के दौरान विकास दुबे रसूलाबाद में अपने किसी रिश्तेदार के यहां रहता था। वह बेहद झगड़ालू था। उस वक्त वह रेडियो रिपेयरिंग का काम करता था। मगर, इस धंधे में भी उसके शातिर दिमाग ने कमाई का रास्ता खोज लिया था। रिपेयरिंग की आड़ में उसने इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स और घडिय़ों की तस्करी का काम शुरू कर दिया। उन्हें जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने विकास दुबे पर सख्ती शुरू की। इसी बीच उन्हें पता चला कि विकास दुबे किसी उद्यमी के साथ मिलकर जमीनों के विवाद सुलझा रहा है तो उन्होंने उसे वहां से भगाया और बिकरू व शिवली तक सीमित कर दिया। मगर, इसके बाद उसका मन बढ़ गया और जरायम की दुनिया में वह आगे बढ़ता गया। रिटायर्ड सीओ ने यह भी बताया कि विकास दुबे इतना शातिर था कि उसने काम कराने के नाम पर उनके नाम से भी लोगों से पैसे ऐंठ लिए थे।

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