Bikru Case: पूर्व एसएसपी पर कार्रवाई से हलचल, एक दर्जन एसपी ग्र्रामीण और 17 सीओ जांच के दायरे में!
एसआइटी ने पूर्व एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह की भूमिका को सही नहीं माना है वहीं बिकरू कांड को पूर्व के अफसरों की लापरवाही का नतीजा माना गया है। पूर्व एसएसपी अनंतदेव तिवारी पर कार्रवाई के बाद नीचे के अफसरों में हलचल मच गई है।
कानपुर, जेएनएन। बिकरू गांव में सीओ समेत आठ पुलिस वालों की हत्या के पीछे एसआइटी ने भी पुलिस अफसरों की लापरवाही स्वीकार की है। अफसर वर्षों से आस्तीन में विकास दुबे नाम का सांप पाल रहे थे, जिसका फन कभी कुचलने की कोशिश नहीं हुई। यही कारण है कि एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट में 15 साल पुराने पुलिस अफसरों पर कार्रवाई के लिए संस्तुति की है। पूर्व एसएसपी अनंत देव तिवारी के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई के बाद अब नीचे के अफसरों की बारी है, उनकी धुकधुकी बढ़ गई है। पूर्व में तैनात रहे एक दर्जन एसपी ग्र्रामीण और 17 सीओ जांच के रडार पर हैं।
मुकदमों के बावजूद था शस्त्र लाइसेंस
बिकरू कांड केवल आठ पुलिसवालों की हत्या नहीं है बल्कि इससे पहले धराशायी हो चुके सिस्टम की कहानी है। एक गैंगस्टर बेखौफ होकर वर्षों तक अपनी अलग ही हुकूमत चलाता रहा। दर्जनों मुकदमों के बाद भी उसके पास शस्त्र लाइसेंस था। उसने जिसका भी चाहा, उसका शास्त्र लाइसेंस बनवाया। पुलिस वाले केवल जी-हुजूरी में लगे रहे। एसआइटी की जांच में यह भी सामने आया कि पुलिस ने अदालत को कभी विकास दुबे का असली चेहरा ही नहीं दिखाया।
...तो इसलिए कार्रवाई की जद में आए पूर्व एसएसपी
पूर्व एसएसपी अनंत देव इसलिए सबसे पहले कार्रवाई की जद में आए क्योंकि उन्हेंं लेकर सबसे ज्यादा विवाद सामने आए। शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र के वायरल पत्र और ऑडियो के केंद्र में पूर्व अनंत देव ही रहे। सीओ देवेंद्र मिश्रा लगातार आरोप लगाते सुने गए कि उन्होंने तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय तिवारी को लेकर कप्तान से कई बार शिकायत की, लेकिन वह उसे नजरअंदाज करते रहे। कुछ ऑडियो में तो उन्होंने अनंत देव पर भ्रष्टाचार के भी आरोप जड़े। हालांकि, इन वायरल ऑडियो की पुष्टि दैनिक जागरण नहीं करता है। जिस तरह से एसआइटी ने कार्रवाई की संस्तुति की है, उससे अब नीचे के अफसरों में भी हलचल है।
बीते 15 साल में करीब एक दर्जन अफसर एसपी ग्रामीण रहे
एसआइटी ने पूर्व एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह की भी भूमिका को सही नहीं माना है। अगर 15 वर्षों की बात करें तो इस दौरान लगभग एक दर्जन एसपी ग्रामीण कानपुर में तैनात रहे। अब देखना होगा कि इनमें किसके कार्यकाल में विकास दुबे पर कार्रवाई हुई और किसके कार्यकाल में वह खुलेआम घूमता रहा।
इसी तरह क्षेत्राधिकारी बिल्हौर के पद पर भी 15 वर्षों में लगभग 17 अधिकारी तैनात रहे। स्व. देवेंद्र मिश्र से पहले मनोज गुप्ता और भगवान सिंह के हाथों में बिल्हौर सॢकल की कमान रही। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पूर्व में तैनात रहे पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई का डंडा चल सकता है।