मार्च के अंतिम दो दिन बूंदाबांदी के आसार, पूर्वी जिलों में हो सकती है भारी बारिश और ओलावृष्टि

मौसम विभाग के अनुसार 26 मार्च से घने बादल छाए रहेंगे और 28 मार्च की रात से असर दिखना शुरू हो जाएगा।

By AbhishekEdited By: Publish:Tue, 24 Mar 2020 05:48 PM (IST) Updated:Wed, 25 Mar 2020 08:46 AM (IST)
मार्च के अंतिम दो दिन बूंदाबांदी के आसार, पूर्वी जिलों में हो सकती है भारी बारिश और ओलावृष्टि
मार्च के अंतिम दो दिन बूंदाबांदी के आसार, पूर्वी जिलों में हो सकती है भारी बारिश और ओलावृष्टि

कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस से जंग में लॉक डाउन के बीच मौसम के रंग से भी दो चार होना पड़ सकता है। पिछले चार दिन की चटक धूप के बाद अब आसमान में घने बादल और बूंदाबांदी-बारिश के लिए तैयार हो जाइए। मौसम विभाग ने 26 मार्च से घने बादल छाने और इसके बाद उत्तरी क्षेत्र में बूंदाबांदी और पूवी इलाकों में भारी बारिश के साथ ओलावृष्टि की संभावना जताई है। इस बारिश की सबसे ज्यादा मार फसल पर पड़ने के डर से किसानों दिल अभी से बैठे जा रहे हैं।

पिछले चार दिन से गर्मी के अहसास के बाद दो दिन तक तापमान कुछ ठंडा हो सकता है। मौसम विभाग ने 29 और 30 मार्च को बारिश की संभावना जताई है, जिसका असर पूर्वोत्तर के जनपद वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, बस्ती, गोरखपुर में अधिक रहेगा। कानपुर, लखनऊ, फतेहपुर, अलीगढ़, झांसी में बूंदाबांदी के आसार हैं। वहीं हवा 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। कुछ जगहों पर ओलावृष्टि के भी आसार बन रहे हैं। मौसम के बदलाव को लेकर कृषि विज्ञान केंद्रों और किसान समितियों को अलर्ट जारी किया जा रहा है। उनके लिए फसल प्रबंधन को लेकर एडवाइजरी भी जारी की जा रही है। मौसम में परिर्वतन 28 मार्च की रात से दिखाई देगा, जबकि आंशिक असर 26 मार्च से हो जाएगा। आसमान में बादल छा जाएंगे और सामान्य से तेज हवा चलेगी।

तेजी से बढ़ सकता है तापमान

अगले दो-तीन में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में तेजी से बढ़ोतरी होने की संभावना है। अधिकतम तापमान 30 से 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 19 से 20 डिग्री सेल्सियस तक जाएगा। सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. नौशाद खान कहते हैं कि आने वाले दिनों में मौसम में परिवर्तन के आसार हैं, 29 और 30 मार्च को बारिश हो सकती है।

न्यूनतम तापमान बढ़ने से हुआ बदलाव

मौसम वैज्ञानिक अजय कुमार मिश्रा के मुताबिक प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है।अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बढ़ने से क्षेत्रीय स्तर पर चक्रवात बन जा रहा है, जिसकी वजह से बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवा चल रही हैं।

किसान क्या करें क्या नहीं मटर, सरसों की कटाई हो चुकी है।उसे संरक्षित किया जाना चाहिए। गेहूं की फसलों में सिंचाई न करें। उरद और मूंग की बुआई न करें। समय से पूर्व बोई गई मक्के की फसल में सिंचाई रोक दें। फसलों में दवाओं का छिड़काव न करें।

chat bot
आपका साथी