परिवार वालों ने घर में डेढ़ साल तक जिंदा समझकर रखी लाश, कोरोना काल में हुई थी मौत, रोंगटे खड़े कर देगा कानपुर का ये मामला

कानपुर के आयकर कर्मी की कोरोना काल में मौत होने के बाद डॉक्टरों ने डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया था। परिवार वाले जिंदा होने का दावा करते हुए शव को डेढ़ साल तक घर पर रखे रहे उनकी पत्नी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Fri, 23 Sep 2022 03:38 PM (IST) Updated:Fri, 23 Sep 2022 08:34 PM (IST)
परिवार वालों ने घर में डेढ़ साल तक जिंदा समझकर रखी लाश, कोरोना काल में हुई थी मौत, रोंगटे खड़े कर देगा कानपुर का ये मामला
कानपुर में सामने आया अजब गजब मामला।

कानपुर, जागरण संवाददाता। यूपी के कानपुर में रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामाने आया है। यहां एक परिवार डेढ़ साल तक शव को घर पर रखे रहा, शुक्रवार को इस बात की जानकारी लोगों को हुई तो सबके पांव तले से जमीन खिसक गई। सूचना मिलते ही पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग की टीम की मदद से शव को एलएलआर अस्पताल भिजवाया।

कानपुर के रावतपुर थाना क्षेत्र में इनकम टैक्स चाैराहा कृष्णपुरी में रहने वाले आयकर विभाग के कर्मचारी 35 वर्षीय विमलेश सोनकर की मौत कोरोना काल में 22 अप्रैल 2021 को हुई थी। उस समय डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित करके डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया था। इसके बाद भी उनकी मौत को लेकर घर वालों को भरोसा नहीं हो रहा था और वह शव लेकर दूसरे अस्पताल गए थे। वहां भी डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। इसपर परिवार वाले उनका शव लेकर घर आ गए थे।

घर पर पत्नी को भी उनके जिंदा होने का विश्वास दिलाया गया था और परिवार वाले उनके शव पर रोजाना गंगाजल डालकर जिंदा होने का दावा करते रहे थे। शुक्रवार को डेढ़ साल से शव घर पर रखा होने की जानकारी लोगों को हुई तो सबके पांव तले से जमीन खिसक गई। सूचना पर पुलिस घर आई तो हंगामा खड़ा हो गया। घरवाले पुलिस से पत्नी की हालत ठीक नहीं होने की दुहाई देकर शव न ले जाने की बात कहते रहे। 

मृत शरीर की हालत बेहद खराब हो चुकी है और मांस हड्डियों में ही सूख गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है की पत्नी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए उनसे पति के बीमार होने की जानकारी देकर स्वास्थ्य कर्मियों को बुलाकर शव को एलएलआर अस्पताल भिजवाया गया है।

पुलिस ने पूछताछ की तो कुछ पड़ोसियों ने कहा कि उन्हें तो यही विश्वास था कि विमलेश जिंदा हैं और कोमा में हैं। डेढ़ साल से रोजाना घर पर आक्सीजन सिलेंडर भी घर पर लाए जाते थे। इसलिए कभी उन्हें उनकी मौत का आभास नहीं हुआ और पुलिस को भी जानकारी देना उचित नहीं समझा।

सीएमओ डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि आयकर विभाग के कर्मचारी हैं। मृत्यु प्रमाणित न होने की वजह से पारिवारिक पेंशन का निर्धारण नहीं हो पा रहा था। इसलिए आयकर विभाग ने सीएमओ से जांच कराकर रिपोर्ट देने का आग्रह किया था। उनके आग्रह पर सीएमओ ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। घरवाले विरोध कर रहे थे, इसलिए पुलिस बुलानी पड़ी। उनकी मृत्यु डेढ़ वर्ष पहले ही हो चुकी है। जांच कमेटी की रिपोर्ट शाम तक आएगी। उसके आधार पर आयकर विभाग को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

सीएमओ डॉ आलोक रंजन ने आगे कहा कि शव से बदबू न आने की जांच करने के लिए भी एक टीम का गठन किया गया है। इसके साथ मृतक के घर और आस पास की जगहों पर सफाई कराई जाएगी।

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