पढ़िए- पीएम-सीएम को कानपुर मेट्रो में पहला सफर कराने वालीं कानपुर की बहू ज्योति शुक्ला का खास इंटरव्यू

कानपुर के नौबस्ता न्यू आजाद नगर की रहने वाली ज्योति शुक्ला अब महिलाओं के लिए रोड माडल बन चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मेट्रो का सफर कराने वाली ट्रेन पायलट का कहना है कि परिवार मजबूत होगा तो देश मजबूत होगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Fri, 14 Jan 2022 10:52 AM (IST) Updated:Fri, 14 Jan 2022 10:52 AM (IST)
पढ़िए- पीएम-सीएम को कानपुर मेट्रो में पहला सफर कराने वालीं कानपुर की बहू ज्योति शुक्ला का खास इंटरव्यू
कानपुर मेट्रो ट्रेन की पहली महिला पायलट हैं ज्योति शुक्ला।

कानपुर, जागरण संवाददाता। नौबस्ता के न्यू आजाद नगर में रहने वाली ज्योति शुक्ला को आज कौन नहीं जानता। 28 दिसंबर तक कानपुर की ये बहू शहरवासियों के लिए अपरिचित थीं पर अब वह न सिर्फ जाना पहचाना चेहरा हैं बल्कि महिलाओं की रोल माडल बनकर भी उभरी हैं। ऐसा यूं ही नहीं हुआ। 28 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कानपुर में मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन किया और आइआइटी से गीता नगर स्टेशन तक सफर किया तो मेट्रो ने ज्योति शुक्ला पर भरोसा जताया।

ट्रेन में प्रधानमंत्री के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, मेट्रो एमडी कुमार केशव और देश के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे, लेकिन ज्योति के सधे ट्रेन नियंत्रण ने उनके इस सफर को और सुखद बना दिया। मेट्रो भी ज्योति के हाथों में प्रधानमंत्री के सफर वाली ट्रेन को देकर नारी सशक्तीकरण के साथ लड़कियों के बीच एक संदेश देना चाहता था कि मेट्रो महिलाओं के लिए पूरी तरह सुरक्षित है और वो इसमें कामयाब भी रहा। ज्योति कानपुर की हैं, इसने भी उनके चयन को मजबूत किया। प्रस्तुत हैं ज्योति शुक्ला से संवाददाता राजीव सक्सेना की विशेष बातचीत के अंश...।

प्रश्न : आप मूल रूप से कहां की रहने वाली हैं और आपकी शिक्षा कितनी है।

उत्तर : पिता निर्भय नाथ शुक्ला के एयरफोर्स में होने की वजह से उनके तबादले के साथ जगह-जगह जाना पड़ता था, इसलिए शिक्षा कई स्थानों पर हुई, लेकिन मूलरूप से मैं मीरजापुर की हूं। इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक्स से बीटेक किया था। 12 जनवरी 2017 को मेट्रो को ज्वाइन किया।

प्रश्न : आपके पति भी मेट्रो में हैं, कानपुर कब आना हुआ।

उत्तर : जी, मेरे पति विजय कुमार मिश्रा भी मेट्रो में हैं। सात मार्च 2018 को विवाह हुआ था। कानपुर में ही न्यू आजाद नगर में ससुराल है। जब कानपुर मेट्रो का कार्य शुरू हुआ तो यहां की पोस्टिंग मांगी थी। अक्टूबर 2021 में कानपुर आ गए थे।

प्रश्न : प्रधानमंत्री को बैठाकर ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी मिलेगी, यह जानकारी होने पर कैसा महसूस हुआ।

उत्तर : कानपुर से जुड़ाव है। ट्रेन चलाने का अनुभव है, इसलिए सिर्फ इतना बताया गया था कि उद्घाटन मौके पर ट्रेन चलाने का मौका मिल सकता है। इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा था। ट्रायल रन की ट्रेन भी चलाई थी। ट्रायल रन के कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री की ट्रेन चलाने की जानकारी मिली थी। उनके बैठने के बाद जब तक ट्रेन चली नहीं थी तब तक तनाव था, लेकिन ट्रेन जैसे ही आगे बढ़ाई सारा तनाव खत्म हो गया। ट्रेन के दोनों तरफ छत पर खड़े लोगों का उत्साह देख बहुत अच्छा लग रहा था। प्रधानमंत्री को बैठाकर ट्रेन चलाई, इससे बड़ी कोई उपलब्धि नहीं हो सकती।

प्रश्न : आप लड़कियों की रोल माडल बन गई हैं। लड़कियों को आगे आने के लिए क्या करना चाहिए।

उत्तर : लड़कियां पढ़ भी सकती हैं और घर भी अच्छे से चला सकती हैं, ऐसे उदाहरण पेश किए जाने चाहिए। पढ़ाई बहुत ही जरूरी है। साथ ही अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए स्कूल, कालेज में होने वाले कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए। पढ़ाई के दौरान शादी नहीं करनी चाहिए। पढ़ाई के बाद नौकरी लग जाए, तब इसके बारे में कुछ सोचे। लड़कियों को नौकरी व परिवार में समन्वय करना आना चाहिए। बच्चे, सास, ससुर सभी को साथ लेकर चलना चाहिए क्योंकि जब परिवार मजबूत होगा तभी देश भी मजबूत होगा। लड़कियां अपने पर विश्वास रखें, जब ऐसा होगा तो उनके माता-पिता भी उनकी काबिलियत पर विश्वास करेंगे।

प्रश्न : लड़कियों के नौकरी में आने से कार्यस्थल में कैसे बदलाव आते हैं।

उत्तर : जहां लड़कियां नौकरी करती हैं, वहां सुरक्षा व्यवस्था भी मजबूत होती है। रिमोट एरिया में माता-पिता सुरक्षा को लेकर भेजने से डरते हैं। इसलिए ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को जाब में लाया जाना चाहिए। जहां लड़कियां काम करती हैं, वहां अनुशासन, बात करने का तरीका, संवेदनाएं भी आ जाती हैं।

प्रश्न : लड़कियां, महिलाएं मेट्रो में कितनी सुरक्षित हैं।

उत्तर : मेट्रो का पूरा माहौल बहुत ही सुरक्षित है। यहां हर जगह महिला स्टाफ है। वे सहयोग की भूमिका में रहती हैं। इसलिए किसी को भी कोई भी समस्या होती है तो यात्री तुरंत उनसे संपर्क करते हैं और वे हैं भी उनके सहयोग के लिए।

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