सेंसर बताएगा यहां गंगा बहुत गंदी

गंगा नदी में बढ़ते प्रदूषण पर रोकथाम के लिए विभिन्न तरीके अपनाए जा रहे हैं। सीधे गिरने वाले नालों को टैप करने के साथ ही प्रदूषण कर रहे उद्योग बंद कराए जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 Apr 2018 02:01 AM (IST) Updated:Sat, 28 Apr 2018 02:01 AM (IST)
सेंसर बताएगा यहां गंगा बहुत गंदी
सेंसर बताएगा यहां गंगा बहुत गंदी

जागरण संवाददाता, कानपुर : गंगा नदी में बढ़ते प्रदूषण पर रोकथाम के लिए विभिन्न तरीके अपनाए जा रहे हैं। सीधे गिरने वाले नालों को टैप करने के साथ ही प्रदूषण कर रहे उद्योग बंद कराए जा रहे हैं। लोगों को गंगा में फूल, मलमूत्र आदि न जाने देने को जागरूक किया जा रहा है। इसी दिशा में आइआइटी कानपुर के पीएचडी छात्र ने ऐसा उपकरण तैयार किया है जो गंगा में प्रदूषण की पहचान करेगा। आइआइटी के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर राजीव सिन्हा के पर्यवेक्षण में पीएचडी करने वाले छात्र दिर्पो सरकार ने साधारण वायुजनित सेंसर बनाया है। इसकी मदद से नदी में जल के प्रदूषण स्तर को मापा जा सकता है। उद्गम स्थल पर ही प्रदूषकों को पहचाना जा सकेगा।

रिमोट सेंसिंग विधि से जानेंगे पानी की गुणवत्ता: वायुजनित सेंसर का उपयोग करने संग रिमोट सेंसिंग विधि से पानी की गुणवत्ता को जांचा जा सकेगा। आइआइटी छात्र की मानें तो इस तकनीक में जल को प्रदूषित करने वाले केमिकल की पहचान करने की क्षमता है। साथ ही उसकी सांद्रता कितनी है, यह भी मालूम हो सकेगा।

छोटा एयरक्रॉफ्ट भी करेगा मदद: इस पायलट परियोजना के तहत एक छोटे एयरक्रॉफ्ट में मोनोक्रोम सेंसर वाले चार चार कैमरे लगे हैं। इनकी मदद से किसी भी जलस्रोत की सतह से प्रकाश का परावर्तन वहां उपस्थित प्रदूषकों की मात्रा की जानकारी देगा। सांद्रता उच्च होने पर इसे खुली आंखों से देखा जा सकेगा, वहीं निम्न सांद्रता होने पर विशेष ऑप्टिकल फिल्टर व प्रदूषकों को दर्शाने वाली प्रकाश की तरंगदै‌र्ध्य को पहचाना जा सकेगा।

प्रदूषकों की प्रकृति व विशेषता देख रही टीम: वायुजनित सेंसर से रिपोर्ट सही आ रही है, या नहीं, इसकी जांच के लिए आइआइटी कानपुर के प्रोफेसरों की टीम गंगा में प्रदूषकों की प्रकृति व विशेषता देख रही है। वहीं ड्रोन की सहायता से नदी के प्रदूषित क्षेत्र से स्वच्छ क्षेत्र को अलग किया जा सके, इस दिशा में कवायद हो रही है। आइआइटी के प्रशासनिक अफसरों ने कहा डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया व मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इस परियोजना को आंशिक रूप से फंड दिलाया गया है। ब्रिटिश फिल्म निर्माता जर्मी वेड ने अपने टीवी शो माइटी रिवर्स में दिर्पो सरकार एवं प्रो. राजीव सिन्हा के अनुसंधान का जिक्र किया है।

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