पानी के साथ ही कोरोना संक्रमण से भी बचाता है यह टॉयलेट, कमाल की हैं खूबियां

गर्व टॉयलेट में खास बात यह है कि इसमें लगा बायो डायजेस्टर टैंक लगाया गया है जो विशेष बैक्टीरिया की मदद से अपशिष्ट को पानी में बदल देता है जिसका उपयोग सिंचाई और वाहनों की धुलाई इत्यादि में किया जा सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 09:16 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 03:43 PM (IST)
पानी के साथ ही कोरोना संक्रमण से भी बचाता है यह टॉयलेट, कमाल की हैं खूबियां
आइआइटी कानपुर के इंक्यूबेशन सेंटर में विकसित ‘गर्व’ टॉयलेट टॉप-28 अंतरराष्ट्रीय स्टार्टअप में चयनित

विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर। आजकल सार्वजनिक टॉयलेट का उपयोग करते समय हर पल इस बात का अंदेशा रहता है कि कहीं कोरोना की चपेट में न आ जाएं। अब इससे बेफिक्र हो सकते हैं, यदि आप स्वदेशी ‘गर्व’ टॉयलेट का उपयोग कर रहे हैं। यह टॉयलेट अपने आसपास कोरोना वायरस का सफाया कर देता है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के इंक्यूबेशन सेंटर में विकसित यह टॉयलेट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर रहा है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) फाइनेंस, जेनेवा ने इस स्टार्टअप को विश्व के टॉप-28 नवोन्मेषी स्टार्टअप्स की सूची में चुना है। यह इसका नया मॉडल है। पहले इसे जल संरक्षण के लिए बनाया गया था, किंतु कोरोना संक्रमण को देखते हुए इसे यूवी लाइट से लैस कर वायरस-बैक्टीरिया रोधी भी बना दिया गया है।

खास बात यह है कि इसमें लगा बायो डायजेस्टर टैंक लगाया गया है, जो विशेष बैक्टीरिया की मदद से अपशिष्ट को पानी में बदल देता है, जिसका उपयोग सिंचाई और वाहनों की धुलाई इत्यादि में किया जा सकता है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक (हरियाणा) से वर्ष 2005 में इलेक्ट्रॉनिक्स और 2009 में इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, गुजरात से एमबीए करने वाले फरीदाबाद (हरियाणा) निवासी मयंक मिढा इस स्टार्टअप के संस्थापक हैं। बताते हैं कि सामान्य टॉयलेट में दुर्गंध और पानी की खपत देखते हुए कुछ नया विकल्प तैयार करने का विचार आया। मयंक ने इस नई अवधारणा को आइआइटी के इंक्यूबेशन सेंटर भेजा था। वहां चयन होने के बाद मिली सहायता से इसे तैयार किया। गर्व टॉयलेट की कीमत 1.70 लाख रुपये से अधिकतम साढ़े पांच लाख रुपये तक है।

सिरेमिक के अलावा इसे स्टेनलेस स्टील से भी तैयार किया गया है। सामान्य टॉयलेट में एक बार में छह से सात लीटर पानी खर्च होता है, जबकि इसमें महज डेढ़ लीटर पानी का इस्तेमाल होता है। ग्रामीण क्षेत्रों को ध्यान में रखकर इसमें सोलर पैनल भी लगाए गए हैं, ताकि सौर ऊर्जा से संचालित हो सके। एक दिन में कितने लोगों ने उपयोग किया, इसका रिकॉर्ड भी कंप्यूटर पर दर्ज होता रहता है।

गर्व टॉयलेट के निर्माता मयंक मिढा ने बताया कि यूवी लाइट से युक्त नई विशेषताओं वाले ऐसे 100 टॉयलेट हाल ही में तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में लगाए गए हैं। अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कानपुर में भी ये टॉयलेट लगाने को लेकर बात चल रही है।

कमाल की खूबियां..इस टॉयलेट को अल्ट्रा वायलेट (यूवी) लाइट, सेंसर्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स की मदद से कुछ अतिरिक्त विशेषताओं से युक्त किया गया है। यूवी लाइट टॉयलेट को 24 घंटे सैनिटाइज करती है, जिससे वायरस-बैक्टीरिया का खतरा नहीं रहता है। उपयोग के बाद सफाई स्वत: हो जाती है। टॉयलेट रूम में प्रवेश करते ही बल्ब-पंखे स्वत: चलने लगते हैं, जबकि बाहर निकलने पर यह स्वत: बंद हो जाते हैं। टैब या स्विच, कुछ भी छूने की आवश्यकता नहीं पड़ती। मयंक ने बताया कि पहले राउंड में जो गर्व टॉयलेट तैयार किये गए थे, उन्हें भी बहुत पसंद किया गया और उत्तर प्रदेश के 11 जिलों में 450 जगहों पर लगाया गया। अब नए मॉडल को भी सराहा जा रहा है।

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