अविरल गंगा में बाधा बन रही बालू
गंगा तटों के किनारे व घाट के आसपास एकत्र हो रही बालू जलधारा को रोक रही है। लाखों टन बालू एकत्र हो गई है। जलधारा रोकने के साथ ही गंगा की गोद में अवैध निर्माण भी हो रहे हैं लेकिन बालू के ढेर हटाने को अभी तक कोई कवायद नहीं की गई है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : गंगा तटों के किनारे व घाट के आसपास एकत्र हो रही बालू जलधारा को रोक रही है। लाखों टन बालू एकत्र हो गई है। जलधारा रोकने के साथ ही गंगा की गोद में अवैध निर्माण भी हो रहे हैं लेकिन बालू के ढेर हटाने को अभी तक कोई कवायद नहीं की गई है।
भैरोघाट पंपिंग स्टेशन के माध्यम से जलकल विभाग रोजाना गंगा से बीस करोड़ लीटर कच्चा पानी ट्रीट करके जलापूर्ति करता है। घाट में पानी खींचने वाले पंप के पास लाखों टन बालू एकत्र हो गई है। स्थिति यह है कि तीन से चार फीट तक ऊंचाई पर बालू के ढेर लग गए हैं, जिनमें लोगों ने पक्के निर्माण कर लिए हैं। बिजली के लिए केबिल तक खींच ली है। बैराज से साढ़े तीन किमी दूर भैरोघाट के आसपास लगे बालू के ढेर कच्चा पानी भैरोघाट तक आने में बाधा बने हैं। खुद जलकल ने शहर की जलापूर्ति के लिए बालू की बोरियों की दीवार बना रखी है। इससे चलते शुक्लागंज की तरफ जाने वाला पानी अब शहर की तरफ भाग रहा है। गर्मी बढ़ने के साथ ही पेयजल का संकट बढ़ने लगता है। ऐसे में गंगा से पर्याप्त पानी न मिलने से दिक्कत आ रही है।
बैराज के कई गेटों के आगे बालू एकत्र
बैराज के कई गेटों के आगे एकत्र बालू ने पानी आगे बढ़ने से रोक रखा है। बालू हट जाए तो जो बैराज से छोड़ा पानी भैरोघाट तक आ जाए ताकि गर्मी में जलापूर्ति में दिक्कत न हो।
पानी कम होते ही होने लगती खेती
गर्मी में गंगा में पानी कम हो जाने के चलते बालू के ढेर लग जाते है। इस पर लोग कब्जा करके खेत में बदल देते हैं। भैरोघाट व सरसैया घाट के आसपास ककड़ी, खीरा व तरबूज की खेती हो रही है।
बालू के बीच से पानी खींचने में बढ़ता खर्च
बालू के बीच से पानी खींचने के लिए जलकल का खर्च बढ़ जाता है। ड्रेजिंग मशीन लगानी पड़ती है। इसके संचालन में ईधन का खर्च बढ़ता है।