हसरतों के पन्ने पर लिख दी सफलता की इबारत
आज के दौर में शायद ही कोई हो, जो बड़े ख्वाब न देखे और हसरतें न पाले। मगर, बात तो तब है जब उन सपनों को हकीकत में बदला जाए।
जागरण संवाददाता, कानपुर : आज के दौर में शायद ही कोई हो, जो बड़े ख्वाब न देखे और हसरतें न पाले। मगर, बात तो तब है जब उन सपनों को हकीकत में बदला जाए। कानपुर की काबिल और सफल शख्सियतों में शहर की एक बेटी का नाम अब और जुड़ गया है। ये रूपाली सागर हैं, जिन्होंने जुनून की कलम थामकर हसरतों के पन्ने पर सफलता की इबारत लिख डाली। 'जिंदगी जिंदाबाद' को अपना अंदाज बना चुकीं बर्रा निवासी रूपाली निश्चित रूप से महिला-युवतियों के लिए नजीर हो सकती हैं। कारोबारी अशोक सागर और देवकी सागर की बेटी रूपाली ने एमए और फिर एमबीए की पढ़ाई छत्रपति शाहूजी महाराज विवि से की। वह बताती हैं कि एक्टिंग या मॉडलिंग का सपना बचपन से नहीं संजोया था लेकिन कुछ रचनात्मक करने और जिंदादिली से जीना पसंद था। 2005 में मिस कानपुर साउथ बनी। फिर कानपुर में ही कॉल सेंटर में नौकरी के दौरान जब भी मौका मिलता, तब एक्टिंग, डांस, मॉडलिंग में प्रतिभाग करती थीं। यहीं से एक इच्छा ने जन्म लिया कि ग्लैमर की दुनिया में हाथ आजमाया जाए। रूपाली बताती हैं कि छह साल पहले मुंबई पहुंची। कुछ दोस्त इसी फील्ड से थे। उनके जरिये सबसे पहले सोनी पर प्रसारित सीरियल 'माही वे' में अभिनय का मौका मिला। उसके बाद तो विभिन्न चैनलों के करीब एक दर्जन सीरियल में अभिनय किया। इसके अलावा विभिन्न मशहूर ब्रांड के लिए मॉडलिंग की। ------- अब कैमरे से सिनेमेटोग्राफी की राह रूपाली ने बताया कि मुझे फोटोग्राफी का बहुत शौक था। एक्सप्रेशन को कैमरे में कैद करना पसंद है। मशहूर फोटोग्राफर प्रवीन तालान की असिस्टेंट के रूप में फोटोग्राफी शुरू की। सीआइएसएफ, सीआरपीएफ, मुंबई पुलिस सहित कई सैन्य बलों को शूट किया। वीडियो फिल्म्स बनाई हैं। रूपाली इस दूसरे ख्वाब को पूरा करने के बाद तीसरे की ओर कदम बढ़ाने जा रही हैं। वह बताती हैं कि बॉलीवुड में सिनेमेटोग्राफर बनना चाहती हैं। --- पापा से मिला हौसला परिवार से मिले सहयोग को रूपाली सबसे अहम मानती हैं। उनके मुताबिक, जब अपने सपने के बारे में पापा को बताया तो उन्होंने हौसला दिया, जिसकी वजह से सफलता की राह मिली।