¨हदी के आजीवन सेवक बने रहे डॉ. पांडेय

जागरण संवाददाता, कानपुर : मूर्धन्य साहित्यकार, शिक्षाविद् और कवि डॉ. श्यामनारायण पांडेय वैदिक वांगम

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Feb 2017 10:16 PM (IST) Updated:Thu, 23 Feb 2017 10:16 PM (IST)
¨हदी के आजीवन सेवक बने रहे डॉ. पांडेय
¨हदी के आजीवन सेवक बने रहे डॉ. पांडेय

जागरण संवाददाता, कानपुर : मूर्धन्य साहित्यकार, शिक्षाविद् और कवि डॉ. श्यामनारायण पांडेय वैदिक वांगमय के गहरे जानकार थे। उनका इस संसार से विदा होना कानपुर में एक ऐसी रिक्तता छोड़ गया जिसकी पूर्ति असंभव है। लक्ष्मीदेवी ललित कला अकादमी के सभाकक्ष में साहित्य जागरण मंच द्वारा आयोजित स्मृति सभा में वक्ताओं ने यह विचार रखे।

वक्ताओं ने कहा कि ¨हदी प्रचारिणी समिति के संस्थापक और अध्यक्ष रहे डॉ. पांडेय ¨हदी के आजीवन अनन्य सेवक बने रहे। ¨हदी साहित्य में ऐतिहासिक और रचनात्मक योगदान के लिए वर्ष 2004 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने डॉ. पांडेय को पद्मश्री की उपाधि से नवाजा था। डॉ. शिवकुमार दीक्षित, डॉ. हरिभाऊ खांडेकर, डॉ. रमेश वर्मा, रामनरेश त्रिपाठी, विनोद पांडेय, राजेंद्र राव, उपेंद्र शास्त्री, अशोक बाजपेयी, चक्रधर शुक्ल, डॉ. कमल मुसद्दी ने विचार व्यक्त किए।

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