बदनाम नाले की जगह खुशनुमा सुबह-शाम

गंगा प्रदूषण के लिए दुनिया भर में बदनाम हो चुके सीसामऊ नाले का नाम उसकी खूबसूरती और खुशनुमा माहौल के लिए जाना जाएगा। उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 15 Aug 2018 01:49 AM (IST) Updated:Thu, 16 Aug 2018 11:11 AM (IST)
बदनाम नाले की जगह खुशनुमा सुबह-शाम
बदनाम नाले की जगह खुशनुमा सुबह-शाम

जागरण संवाददाता, कानपुर : गंगा प्रदूषण के लिए दुनिया भर में बदनाम हो चुके सीसामऊ नाले का नाम उसकी खूबसूरती और खुशनुमा माहौल के लिए जाना जाएगा। उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारी है। शहरवासी उसके किनारे चलकर सीधे गंगा तक पहुंच सकेंगे। यहां औषधीय, फूलदार पौधे लगाए जाएंगे जो खुश्बू बिखेरेंगे। इस परिवर्तन को आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञ, यूके की सरे यूनिवर्सिटी और वहां की एक संस्था के सहयोग से पूरा करेंगे। इसका निर्णय नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के अंतर्गत आइआइटी में हुई बैठक में लिया गया। इसमें सांसद डॉ. मुरली मनोहर जोशी, विधायक नीलिमा कटियार, इरफान सोलंकी, जल निगम, केडीए व नगर निगम के कई अधिकारी मौजूद रहे। आइआइटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने संस्थान के सामाजिक सरोकार के शोध और प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी। सिविल इंजीनिय¨रग के प्रो. विनोद तारे ने सीसामऊ के प्रोजेक्ट के बारे में बताया।

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नाले में लगेंगे शोधन यंत्र

प्रो. विनोद तारे ने बताया कि नाले, नालियों व नहरों के पानी को सीसामऊ नाले में जाने दिया जाए। यहां सात-आठ अंडरग्राउंड शोधन यंत्र लगाए जाएंगे। जिससे अंदर ही अंदर गंदगी को साफ कर सकेगी। सीसामऊ नाले की क्षमता पहले 140 एमएलडी थी। जिसमें से 60 एमएलडी को डायवर्ट कर दिया गया। ऐसे में पानी कम होने से सॉलिड वेस्ट (सूखा कचरा) फेंका जाने लगेगा और नाले पर कब्जा हो जाएगा। इस पर नजर रखने के लिए प्रशासन, केडीए व नगर निगम से रिपोर्ट मांगी गई है।

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लोहे की जाली से रोकेंगे सॉलिड वेस्ट

सरे यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रो. देवेंद्र सरोज और यूके की संस्था की सीईओ हैना के मुताबिक नाले में लोहे की जालियां लगाई जाएंगी, जिससे सॉलिड वेस्ट रूक जाएगा। इस प्रोजेक्ट को ड्रेन ब्लू आइडिया का नाम दिया गया है।

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बेहतर विकास के लिए नाले का जरूरी

डॉ. जोशी के मुताबिक शहर के विकास के लिए सीसामऊ के नाले का विकास किया जाना जरूरी है। पर्यटन स्थल बनने से लोगों को रोजगार का अवसर मिलेगा। नाले के किनारे-किनारे मेडिसिनल पौधे लगाए जाएंगे। इससे जल संरक्षण भी हो सकेगा।

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