पॉलीथिन के पहाड़ में रोज बढ़ता 10 टन कचरा

दुकानों का लाइसेंस बने तो खत्म हो पॉलीथिन निस्तारण का संकट, केंद्र के अधिनियम में नगर निगम को लाइसेंस बनाने का अधिकार

By JagranEdited By: Publish:Mon, 16 Jul 2018 10:40 AM (IST) Updated:Mon, 16 Jul 2018 12:21 PM (IST)
पॉलीथिन के पहाड़ में रोज बढ़ता 10 टन कचरा
पॉलीथिन के पहाड़ में रोज बढ़ता 10 टन कचरा

जागरण संवाददाता, कानपुर : नगर निगम के संसाधनों के अभाव में शहर में पॉलीथिन के पहाड़ प्रतिदिन बड़े और बड़े होते जा रहे हैं। इन पहाड़ो में रोज 10 टन पॉलीथिन और एकत्र हो जाती है जो उठती नहीं है। शहर में प्रतिदिन 40 टन पॉलीथिन की खपत है जबकि अधिकतम 30 टन पॉलीथिन ही नगर निगम उठा पाता है।

बाहर से आने वालों की ही नहीं शहर में रहने वालों की भी यह शिकायत है कि शहर बहुत गंदा रहता है। नालियों, सड़कों, गलियों को तो छोड़ दीजिए शहर से गुजरने वाली नहरों को भी पॉलीथिन से लोगों ने डंप कर दिया है। पॉलीथिन में सामान तो बिक जाता है लेकिन उस पॉलीथिन का क्या हुआ, इसके बारे में ठीक से सोचा तक नहीं जाता। केंद्र ने पॉलीथिन को लेकर 2016 में जो नियम बनाया था, उसमें नगर निगमों को अधिकार दिए थे कि जो भी दुकानदार पॉलीथिन का इस्तेमाल करेगा, उसे इसके लिए लाइसेंस लेना होगा और 4,000 रुपये पॉलीथिन निस्तारण के लिए हर माह शुल्क चुकाना होगा।

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यूं बढ़ता है कचरा

शहर में रोज 120 टन पॉलीथिन की बिक्री होती है। इसमें करीब 80 टन पॉलीथिन की खरीद आसपास के जिलों के दुकानदार करते हैं। बाकी 40 टन पॉलीथिन शहर में इस्तेमाल होती है। यह पॉलीथिन इस्तेमाल के बाद कचरे के रूप में फेंक दी जाती है।

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यूं होता निस्तारण

नगर निगम रोज कचरे के साथ करीब 30 टन पॉलीथिन उठाता है। पॉलीथिन का यह कचरा बाकी कूड़े के साथ कचरा निस्तारण प्लांट पहुंच जाता है लेकिन पीछे शहर में 10 टन पॉलीथिन रोज बच जाती है। यह पॉलीथिन रोज के हिसाब से बढ़ रही है। इसीलिए धीरे-धीरे हर जगह पॉलीथिन का कचरा नजर आने लगा है। इसके पीछे नगर निगम का कहना है कि उसे पूरा कचरा उठाने के लिए सवा सौ ट्रकों की जरूरत है लेकिन उसके पास मात्र 68 ट्रक हैं इसलिए पूरा कचरा नहीं उठ पाता।

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कानपुर में हैं सवा लाख दुकानें

शहर में नगर निगम सीमा क्षेत्र में करीब सवा लाख दुकानें हैं। शायद ही कोई ऐसी दुकान हो जहां पॉलीथिन का इस्तेमाल ना किया जाता हो। नगर निगम 4,000 रुपये प्रति माह के हिसाब से इनसे शुल्क लेना शुरू कर दे तो हर माह नगर निगम को 50 करोड़ रुपये की आय हो सकती है। इससे उसके सभी संसाधनों की कमी दूर हो सकती है।

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कचरा और उसका निस्तारण एक नजर में

- 1,300 टन कचरा रोज शहर में होता।

- 1,000 टन कचरा ही नगर निगम उठा पाता।

- 120 टन पॉलीथिन शहर व आसपास के जिलों में रोज की खपत।

- 40 टन पॉलीथिन की खपत रोज होती शहर में।

- 30 टन पॉलीथिन इस कचरे में रोज उठाई जाती।

- 10 टन पॉलीथिन रोज शहर के फैले कचरे में बढ़ जाती।

- 68 ट्रक कचरा निस्तारण के लिए नगर निगम के पास हैं।

- 125 ट्रक नगर निगम को चाहिए पूरा कूड़ा उठाने के लिए।

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''पॉलीथिन का प्रयोग करने वाली दुकानों के लाइसेंस की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। पॉलीथिन के निस्तारण के लिए हर माह चार हजार रुपये का शुल्क लिया जाएगा। लाइसेंस लेने का मतलब यह नहीं होगा कि 50 माइक्रॉन से नीचे की पॉलीथिन का इस्तेमाल करने लगें। पॉलीथिन 50 माइक्रॉन से ऊपर की ही इस्तेमाल करनी होगी। इसके नीचे के माइक्रॉन की पॉलीथिन इस्तेमाल करने पर कार्रवाई की जाएगी। - संतोष कुमार शर्मा, नगर आयुक्त, कानपुर नगर।

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