पिंटू सेंगर हत्याकांड: पुलिस ने मनमाने तरीके से लगाए सुबूत, भाई ने चार्जशीट पर उठाया सवाल

पिंटू सेंगर हत्याकांड में दो आरोपितों के नाम चार्जशीट हटाने के खेल से पुलिस पर सवालिया निशान लग गया है भाई का आरोप है कि मनोज वीरेंद्र पाल व महफूज अख्तर का नाम गलत तरीके से हटाया गया है जबकि सीडीआर के मुताबिक महफूज की शूटर से बात हुई थी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Mon, 05 Oct 2020 09:50 AM (IST) Updated:Mon, 05 Oct 2020 09:50 AM (IST)
पिंटू सेंगर हत्याकांड: पुलिस ने मनमाने तरीके से लगाए सुबूत, भाई ने चार्जशीट पर उठाया सवाल
कानपुर का चर्चित बसपा नेता पिंटू सेंगर हत्याकांड में पुलिस का खेल खुल गया है।

कानपुर, जेएनएन। बसपा नेता पिंटू सेंगर की हत्या के मामले में पुलिस ने जो सुबूत लगाए उनमें मनमानी की गई। बसपा नेता के भाई धर्मेंद्र सिंह ने यह आरोप लगाए हैं। चार्जशीट पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि मनोज गुप्ता और वीरेंद्र पाल के अलावा महफूज अख्तर का नाम गलत तरीके से हटाया गया, जबकि महफूज के हत्या में शामिल होने के पुख्ता सुबूत थे। 

धर्मेंद्र का दावा है कि सउद अख्तर के भाई महफूज की मोबाइल सीडीआर देखी थी, उसमें 5 मई को एहसान और फैसल के साथ सउद अख्तर से बातचीत हुई थी। हत्याकांड के लिए तनवीर बादशाह ने शूटर का इंतजार किया था, उससे महफूज की लगातार बातचीत हुई थी, लेकिन पुलिस ने 5 कर्मचारियों के बयान को आधार मानते हुए महफूज का नाम हटा दिया। कर्मचारियों ने कहा था कि हत्याकांड के वक्त महफूज टेनरी में मौजूद था।

धर्मेंद्र के मुताबिक वीरेंद्र पाल का नाम एफआइआर में नहीं लिखवाया था। जांच में पुलिस ने उसका नाम जोड़ा। पुलिस से ही पता चला कि भाई पिंटू की कंपनी में वीरेंद्र ने सिपाही श्याम सुशील मिश्रा के साथ मिलकर लाखों का घपला किया था। इसीलिए श्याम सुशील को आरोपी माना गया, लेकिन वीरेंद्र को क्लीन चिट दे दी। धर्मेंद्र ने मांग की कि जिन लोगों के नाम निकाले गए हैं, उनके खिलाफ दोबारा जांच कराई जाए।

कंपनी में गोलमाल की अब तक रिपोर्ट दर्ज नहीं

पिंटू सेंगर की रीयल स्टेट कंपनी में पिंटू की पत्नी व एक अन्य कारोबारी 35-35 फीसद के हिस्सेदार थे, जबकि श्याम सुशील मिश्रा की पत्नी और वीरेंद्र का शेयर 15-15 फीसद था। जांच में सामने आया कि वीरेंद्र पाल और श्याम सुशील मिश्रा ने लाखों का घोटाला किया। पिंटू इस पैसे को वापस करने का दबाव बना रहे थे। धर्मेंद्र ने बताया कि धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराने के लिए कहा, लेकिन पुलिस टालती रही।

पप्पू और उसके भाइयों के संपर्क में थे कई पुलिस वाले

धर्मेंद्र का यह भी आरोप है कि पप्पू स्मार्ट और उसके दोनों भाइयों के संपर्क में चकेरी थाने के कई पुलिस वाले थे। सीडीआर निकाले जाने के वक्त यह बात सामने आई, लेकिन पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं हुई।

एडीजी ने एसएसपी से की वार्ता

बसपा नेता पिंटू सेंगर हत्याकांड में नाम निकाले जाने को लेकर एडीजी जय नरायन सिंह ने रविवार को एसएसपी डॉ. प्रीतिंदर सिंह से वार्ता की। एडीजी ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए पूरे मामले में जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने जिन अभियुक्तों के नाम निकाले गए हैं, उनकी संलिप्तता को लेकर दूसरे अधिकारी से जांच कराई जाए। एडीजी ने बताया कि अगर जिला पुलिस की जांच संतोषजनक नहीं रही तो दूसरे जनपद या रेंज से जांच कराई जा सकती है।

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