वन टाइम पासवर्ड से साइबर सुरक्षा को मिली मजबूती, अपराधों पर लगी लगाम
वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) से साइबर सुरक्षा को मजबूती मिली। इससे साइबर अपराध भी कम हुए हैं।
कानपुर, जेएनएन। वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) से साइबर सुरक्षा को मजबूती मिली। इससे साइबर अपराध भी कम हुए हैं। जानकारी के अभाव में जहां-कहीं किसी ने ओटीपी अनजान व्यक्ति को बता दिया, उसके चलते ही संबंधित व्यक्ति को नुकसान पहुंचा। पर जो जागरूक हैं, उनके पास ट्रांजेक्शन करते ही ओटीपी दर्ज करने के बाद मैसेज या ई-मेल पहुंच जाता है। इसी जागरूकता को बढ़ाना है। शनिवार को यह जानकारी ग्रेटर नोएडा निवासी आशीष कुमार सक्सेना ने दी।
1976 बैच में एचबीटीआइ से इलेक्ट्रिकल इंजीनिय¨रग की पढ़ाई पूरी करने वाले आशीष नोएडा के सेक्टर-तीन में अपनी निजी कंपनी (साइबर सिक्योरिटी) को संचालित करते हैं। उनकी यह कंपनी केंद्र सरकार की सभी वेबसाइट, नेटवर्क की साइबर सुरक्षा का काम देखती है। आशीष ने कहा कि हमें साइबर सुरक्षा से जुड़े खुद के उत्पाद तैयार करने चाहिए। क्योंकि जिन उत्पादों को हम आयात करते हैं, उनमें सर्विलांस एक्टिव होता है और डाटा चोरी होने का खतरा बना रहता है। उनकी कंपनी ने साइबर सुरक्षा से संबंधित तीन उत्पाद भी तैयार किए हैं।
बहुत ज्यादा डेवलपमेंट की जरूरत
1974 बैच बीआइटी मेरठ के संचालक राकेश अग्रवाल का कहना है कि भले ही इस तकनीकी विवि की प्लेसमेंट व्यवस्था अच्छी हो, अन्य सुविधाएं बेहतर हों। पर अभी भी यहां डेवलपमेंट (विकास) की बहुत ज्यादा जरूरत है। अगर कैंटीन की बात करें तो वहां की स्थिति वैसी ही है, जैसी सालों पहले थी। इसलिए मेरा मानना है इंफ्रास्ट्रक्चर, लैब आदि बदलनी चाहिए। इसके लिए विवि के कुलपति एल्युमिनाई एसोसिएशन को प्रस्ताव तैयार कर दें। हम मदद के लिए तैयार हैं।
आधार मजबूत हो तो मिलेंगे अच्छे इंजीनियर
1973 बैच लोहिया नगर गाजियाबाद के हरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि इंजीनिय¨रग की पढ़ाई करने जब कोई छात्र आता है, तो उसका प्रदर्शन उसकी 12वीं और उससे पहले की पढ़ाई पर निर्भर होता है। यानी उसने कैसी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा ग्रहण की। यूपी में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की स्थिति बेहतर नहीं है, इससे सभी वाकिफ हैं। ऐसे में अच्छे इंजीनियर किसी संस्थान को कैसे मिलेंगे, यह सोचने वाली बात है। इसलिए इंजीनिय¨रग से पहले की पढ़ाई पर बहुत अधिक जोर दिया जाना चाहिए। वहीं एचबीटीयू के लिए राज्य सरकार को ठोस कवायद करनी चाहिए।
स्वीडन से आए 1994 बैच के विवेक श्रीवास्तव का कहना है कि एचबीटीआइ से एचबीटीयू में कोई खास बदलाव नहीं भले ही आज एचबीटीआइ को एचबीटीयू के नाम से जाना जाता है। पर यहां आकर कोई खास बदलाव नहीं दिख रहा। हालांकि कई सुविधाओं को हाईटेक किया जा रहा है। यह बहुत अच्छी बात है। इसका लाभ छात्र-छात्राओं को मिलेगा।
1976 बैच में एचबीटीआइ से इलेक्ट्रिकल इंजीनिय¨रग की पढ़ाई पूरी करने वाले आशीष नोएडा के सेक्टर-तीन में अपनी निजी कंपनी (साइबर सिक्योरिटी) को संचालित करते हैं। उनकी यह कंपनी केंद्र सरकार की सभी वेबसाइट, नेटवर्क की साइबर सुरक्षा का काम देखती है। आशीष ने कहा कि हमें साइबर सुरक्षा से जुड़े खुद के उत्पाद तैयार करने चाहिए। क्योंकि जिन उत्पादों को हम आयात करते हैं, उनमें सर्विलांस एक्टिव होता है और डाटा चोरी होने का खतरा बना रहता है। उनकी कंपनी ने साइबर सुरक्षा से संबंधित तीन उत्पाद भी तैयार किए हैं।
बहुत ज्यादा डेवलपमेंट की जरूरत
1974 बैच बीआइटी मेरठ के संचालक राकेश अग्रवाल का कहना है कि भले ही इस तकनीकी विवि की प्लेसमेंट व्यवस्था अच्छी हो, अन्य सुविधाएं बेहतर हों। पर अभी भी यहां डेवलपमेंट (विकास) की बहुत ज्यादा जरूरत है। अगर कैंटीन की बात करें तो वहां की स्थिति वैसी ही है, जैसी सालों पहले थी। इसलिए मेरा मानना है इंफ्रास्ट्रक्चर, लैब आदि बदलनी चाहिए। इसके लिए विवि के कुलपति एल्युमिनाई एसोसिएशन को प्रस्ताव तैयार कर दें। हम मदद के लिए तैयार हैं।
आधार मजबूत हो तो मिलेंगे अच्छे इंजीनियर
1973 बैच लोहिया नगर गाजियाबाद के हरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि इंजीनिय¨रग की पढ़ाई करने जब कोई छात्र आता है, तो उसका प्रदर्शन उसकी 12वीं और उससे पहले की पढ़ाई पर निर्भर होता है। यानी उसने कैसी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा ग्रहण की। यूपी में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की स्थिति बेहतर नहीं है, इससे सभी वाकिफ हैं। ऐसे में अच्छे इंजीनियर किसी संस्थान को कैसे मिलेंगे, यह सोचने वाली बात है। इसलिए इंजीनिय¨रग से पहले की पढ़ाई पर बहुत अधिक जोर दिया जाना चाहिए। वहीं एचबीटीयू के लिए राज्य सरकार को ठोस कवायद करनी चाहिए।
स्वीडन से आए 1994 बैच के विवेक श्रीवास्तव का कहना है कि एचबीटीआइ से एचबीटीयू में कोई खास बदलाव नहीं भले ही आज एचबीटीआइ को एचबीटीयू के नाम से जाना जाता है। पर यहां आकर कोई खास बदलाव नहीं दिख रहा। हालांकि कई सुविधाओं को हाईटेक किया जा रहा है। यह बहुत अच्छी बात है। इसका लाभ छात्र-छात्राओं को मिलेगा।