ऊर्जा संरक्षण के लिए नजीर बनी मंडी समिति
मंडी समिति में कहने को चाहे जितनी भी समस्याएं हों। लेकिन ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में उसने जो बड़ा काम करकेदिखाया है, वह अभी तक कोई सरकारी कार्यालय नहीं कर सका है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : मंडी समिति में कहने को चाहे जितनी भी समस्याएं हों। लेकिन ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में उसने जो बड़ा काम करकेदिखाया है, वह अभी तक कोई सरकारी कार्यालय नहीं कर सका है। मंडी समिति ने सोलर पावर प्लांट लगवा कर केस्को से लिया गया बिजली का कनेक्शन कटवा लिया है। इसके जरिए वह अब हर माह लाखों रुपये की बचत कर रहा है।
मंडी समिति की कानपुर में दो बड़ी मंडियां हैं। इसमें नौबस्ता में गल्ला मंडी है तो चकरपुर में फल और सब्जी मंडी। इन दोनों ही स्थानों पर बिजली का भारी बिल आता था। नौबस्ता में हर माह छह लाख रुपये खर्च करने पड़ते थे, चकरपुर में यही बिल करीब 12 से 13 लाख रुपये का होता है।
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दो वर्ष पहले लिया निर्णय
हर माह करीब 18 से 19 लाख रुपये बिजली के बिल के देने की वजह से दो वर्ष पहले मंडी समिति ने सोलर पावर प्लांट लगाने का निर्णय लिया। अधिकारियों ने सर्वे कराया और उसके बाद चार-चार सौ किलो वाट के सोलर पावर प्लांट दोनों ही मंडियों में लगवाए गए।
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अब हो रही है बचत
मंडी समिति ने नौबस्ता मंडी में केस्को का कनेक्शन कटवा दिया है। साथ ही सभी आढ़तियों से कह दिया है कि जिसे भी बिजली का कनेक्शन चाहिए वह सीधे अपने लिए केस्को से बात करे। मंडी समिति के आफिस और कुछ खास स्थानों पर बिजली पूरी तरह सोलर पावर प्लांट के जरिए ही आपूर्ति होती है। विभाग को अब यहां हर माह छह लाख रुपये की बचत हो रही है।
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माह के अंत में कटेगा चकरपुर का कनेक्शन
अप्रैल माह के अंत में मंडी समिति चकरपुर में भी बिजली का कनेक्शन कटवा देगा। इसके बाद यहां खर्च होने वाले 12-13 लाख रुपये बचने लगेंगे। यहां के कारोबारी भी सीधे अपने कनेक्शन बिजली विभाग से लेंगे।
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दोनों जगह 1100 दुकानें
नौबस्ता गल्ला मंडी में जहां 569 दुकानें हैं वहीं चकरपुर फल और सब्जी मंडी में 531 दुकानें हैं।
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'नौबस्ता गल्ला मंडी में तो पूरी तरह बिजली सोलर पावर प्लांट के आधार पर ही चल रही है। इस माह के अंत तक चकरपुर का कनेक्शन भी कटवा दिया जाएगा और फिर वहां भी सोलर ऊर्जा से बिजली जलेगी। इससे ऊर्जा संरक्षण भी होगा और धन की बचत भी।'
- संजय प्रजापति, सचिव, मंडी समिति, कानपुर नगर।
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'मंडी समिति ने दूसरे सरकारी कार्यालयों के सामने उदाहरण पेश किया है कि वे भी इसी तरह अपने विभागों में बचत कर सकते हैं।'
- राजीव श्रीवास्तव, उप निदेशक मंडी परिषद।