Mahoba corruption Case: जो शक के दायरे में, वे ही कर दिए गए एसआइटी की जांच से बाहर

एसआइटी की जांच पूरी हो गई लेकिन कई सवाल उठ रहे हैं घायल इंद्रकांत को अस्पताल ले जाने वाले सिपाही की शिकायत के बावजूद उससे पूछताछ नहीं की गई और रिश्तेदार को धमकाने वाले आशू और पूर्व एसपी के लिए वसूली करने वाले सिपाही अरुण भी जांच से बचे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 11:24 AM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 05:43 PM (IST)
Mahoba corruption Case: जो शक के दायरे में, वे ही कर दिए गए एसआइटी की जांच से बाहर
महोबा कबरई कांड में क्रशर व्यापारी इंद्रकांत की फाइल फोटो।

महोबा, जेएनएन। कबरई के क्रशर कारोबारी की मौत के मामले में एसआइटी जांच भले ही पूरी हो गई हो, लेकिन जांच पर उठ रहे कई सवालों के जवाब आज भी अधूरे हैं। पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार समेत मुकदमे के सभी आरोपितों से पूछताछ न होना ही अकेले चौंकाने वाली बात नहीं है। और भी कुछ किरदार शक के दायरे में थे, जो जांच से बाहर ही रखे गए। फिर चाहे वह आशू भदौरिया हो या निलंबित सिपाही अरुण यादव अथवा व्यापारी इंद्रकांत को घायलावस्था में कानपुर तक ले जाने वाला सिपाही। ये तीनों ही एसआइटी जांच की आंच से बचे रहे।

1. आशू भदौरिया

आठ सितंबर को इंद्रकांत ने वीडियो जारी कर नौ सितंबर को प्रेस कांफ्रेंस करने और इसमें पाटीदार के भ्रष्टाचार के सुबूत रखने की बात कही थी। इस वीडियो के वायरल होने के करीब आधे घंटे बाद ही इंद्रकांत के साले बृजेश के मोबाइल पर आशू भदौरिया का फोन आया- 'अपने जीजा से कह दो कि राजा साहब नाराज हैं, जल्द मिल ले, वरना... समझ रहे हो न...।Ó डेढ़ घंटे के बाद ही दोपहर दो बजे यह खबर आग की तरह फैल गई कि इंद्रकांत गोली लगने से घायल मिले हैं। जांच शुरू होते ही आशू का नाम उछलता रहा। पुलिस बाहर जिलों तक उसकी तलाश दबिश दे रही थी। अचानक भदौरिया शहर में दबोचा गया। तमंचा और कारतूस रखने के आरोप में जेल भेज दिया गया। व्यापारी प्रकरण में उसके बयान नहीं कराए गए।

2. निलंबित सिपाही अरुण यादव

व्यापारी प्रकरण गर्माने के बाद निलंबित किया गया सिपाही अरुण यादव पूर्व एसपी मणिलाल के लिए वसूली करता था। एसआइटी को दिए बयान में कई कारोबारियों ने यह बताया। उसी के इशारे पर ही खनन कारोबारी से चौथ वसूली जा रही थी। इसके साक्ष्य भी सौंपे गए थे। बांदा स्थानातंरण किए जाने के बाद भी अरुण पूर्व एसपी के साथ कबरई में वाहनों की पकड़-धकड़ में मौजूद रहता था। इस सिपाही को आज तक बयान के लिए लाया तक नहीं गया। उस पर खुद की गाड़ी चलवाने, धोखाधड़ी का मुकदमा कर मामले से अलग थलग कर दिया गया।

3. कानपुर तक साथ जाने वाला सिपाही

जिला अस्पताल से इंद्रकांत को कानपुर रेफर किया गया तो एंबुलेंस में एक सिपाही को भी बैठा दिया गया था। स्वजन का आरोप है कि वह रास्ते भर किसी अधिकारी को फोन करता रहा, बीच-बीच में इंद्रकांत को बार-बार उठाकर इधर-उधर खिसकाता जा रहा था। उसे टोका भी गया, मगर वह बाज नहीं आया। स्वजन ने इसकी शिकायत गृह सचिव को भेजे पत्र में और एसआइटी से भी की थी। पूरी जांच के दौरान उस सिपाही का कोई जिक्र नहीं आया और बयान तक नहीं लिए गए। दिवंगत व्यापारी के भाई रविकांत के मुताबिक एएसपी वीरेंद्र कुमार ने अंकित नाम के सिपाही को बैठाया था। वह फोन पर सर-सर कहकर किसी को हालात की जानकारी देता रहा। महोबा प्रकरण की जांच अभी चल रही है, जो लोग भी इसमें शामिल हैं, सबसे पूछताछ होगी।- प्रेमप्रकाश, एडीजी प्रयागराज जोन

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