Kalyan Singh Passed Away: फर्रुखाबाद से इतना था स्नेह कि बना लिया था समधियाना, अक्सर रहता था आना-जाना

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह के निधन की खबर के बाद फर्रुखाबाद में शोक की लहर दौड़ गई। उन्होंने यहां पर अपने इकलौते बेटे राजवीर सिंह ‘राजू’ का विवाह रोडवेज बस परिचालक की बेटी से किया था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 22 Aug 2021 08:56 AM (IST) Updated:Sun, 22 Aug 2021 08:56 AM (IST)
Kalyan Singh Passed Away: फर्रुखाबाद से इतना था स्नेह कि बना लिया था समधियाना, अक्सर रहता था आना-जाना
फर्रुखाबाद पर बरसता रहा अपार स्नेह ।

फर्रुखाबाद, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह के निधन की खबर मिलते ही फर्रुखाबाद में भी शोक की लहर दौड़ गई। जिले से उनका करीबी नाता रहा और उनके स्नेह हमेशा बरसता रहा। इतना ही नहीं उन्होंने अपने इकलौते पुत्र एटा के सांसद राजवीर सिंह ‘राजू’ का विवाह भी मन्नीगंज में करके फर्रुखाबाद जनपद को अपना समिधियाना बना लिया था और वह अक्सर आते-जाते रहे।

बाबू कल्याण सिंह ने इकलौते पुत्र राजवीर सिंह राजू की शादी मन्नीगंज निवासी रोडवेज बस परिचालक प्रकाश चंद्र वर्मा की पुत्री प्रेमलता से की थी। उन दिनों कल्याण सिंह भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। राजू की बरात धूमधाम के साथ आई थी और जनवासा बद्रीविशाल डिग्री कालेज में दिया गया था। बेटे की शादी करने के बाद वह रिश्तेदार हो गए थे और जनपद में उनका अक्सर आना बना रहा।

फर्रुखाबाद के कई नेताओं से भी उनके करीबी रिश्ते रहे हैं और यही कारण रहा कि मुख्यमंत्री बनने पर वह कई बार यहां आए। भाजपा से अलग होकर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाने के बाद उन्होंने यहां चारों विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। उनकी लोकप्रियता का नतीजा रहा था कि पार्टी नई होने के बावजूद जनता का अच्छा समर्थन प्राप्त हुआ था।

कमालगंज से चुनाव लड़े सतीश वर्मा के पुत्र रिंकू वर्मा ने बताया कि बाबू जी से उनके परिवार का गहरा संबंध था। वह सदैव उनपर स्नेह बनाए रहे। उनके निधन से उनके परिवार की व्यक्तिगत क्षति है। राजवीर सिंह के साले सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि बाबूजी के निधन की खबर सुनकर परिवार शोक में डूब गया है। उनके अंतिम दर्शन करने के लिए जा रहे हैं। फर्रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत ने कहा बाबूजी उनके पिता के समान थे। उन्होंने अपने पुत्र से ज्यादा स्नेह दिया है। आज वह जो कुछ भी हैं, वह बाबूजी के आशीर्वाद से ही हैं, यह उनके लिए अपूर्णीय क्षति है।

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