Kisan Rail से पहली बार असम भेजा गया 220 टन आलू, आप भी करा सकते हैं इस ट्रेन की बुकिंग, जानें कैसे

Indian Railways News बुधवार को फर्रुखाबाद रेलवे स्टेशन के माल गोदाम ट्रैक पर आई ट्रेन में 20 जीएस (सामान्य द्वितीय श्रेणी यात्री कोच) और दो एसएलआर (पार्सल कोच) हैं। प्रत्येक कोच में 10 टन (195 पैकेट) आलू लोड किया गया।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 10:07 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 10:07 PM (IST)
Kisan Rail से पहली बार असम भेजा गया 220 टन आलू, आप भी करा सकते हैं इस ट्रेन की बुकिंग, जानें कैसे
किसान रेल के अंदर सीटों पर आलू के पैकेट रखते पल्लेदार।

फर्रुखाबाद, [जागरण स्पेशल]। Indian Railways News जिले से पहली बार बुधवार को किसान रेल से 220 टन आलू असम के लिए भेजा गया। 22 बोगी वाली किसान रेल में 20 सवारी बोगी और दो पार्सल कोच हैं। असम के बिहारा रेलवे स्टेशन पर तीन दिन में पहुंच जाएगी। ट्रेन से आलू के भाड़े में किसानों को 50 फीसद की छूट भी मिलेगी। सड़क मार्ग से कम भाड़े और वक्त पर आलू वहां की मंडियों में पहुंचने से अालू की लागत घटेगी। वहीं, गुणवत्ता प्रभावित नहीं होने से किसानों को फायदा होगा। मंदी से परेशान किसानों के लिए इस पहल ने अब असम की आलू मंडियों के लिए रास्ता आसान कर दिया है। अभी नौ और ट्रेनों की भी बुकिंग कराई जा चुकी है।  

बुधवार को फर्रुखाबाद रेलवे स्टेशन के माल गोदाम ट्रैक पर आई ट्रेन में 20 जीएस (सामान्य द्वितीय श्रेणी यात्री कोच) और दो एसएलआर (पार्सल कोच) हैं। प्रत्येक कोच में 10 टन (195 पैकेट) आलू लोड किया गया। ओवरलोडिंग पर किराये के साथ छह गुना तक जुर्माने से बचने को किसानों ने क्षमता से थोड़ा कम ही माल लादा है। बुधवार को फर्रुखाबाद से चली ट्रेन बीच में बिना रुके सीधे असम के बिहारा रेलवे स्टेशन पर तीसरे दिन यानी शनिवार को पहुंचेगी। वहां से असम की स्थानीय मंडियों में आलू बिक्री के लिए भेजा जाएगा। राजेपुर क्षेत्र के भरखा निवासी किसान रामलखन ङ्क्षसह की अगुआई में 17 किसानों ने मिलकर 15 सितंबर को किसान रेल की मांग की थी। पूर्वोत्तर रेलवे से पहली किसान रेल को तीन दिन पहले ही स्वीकृति मिली।  

ऐसे मंगवा सकते हैं किसान रेल: 15 पार्सल कोच वाली किसान रेल को बुक कराने के लिए कम से कम 15 किसानों को संगठित होकर अपना पूरा ब्योरा नाम, पता मोबाइल नंबर, आधार कार्ड और खतौनी के साथ लोडिंग की तारीख संग आवेदन रेलवे स्टेशन अधीक्षक को देना होता है। यहां से आवेदन इज्जतनगर मुख्यालय और फिर रेल मंत्रालय जाता है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद किसानों को एक लाख रुपये इंडेंट (जमानत) राशि जमा करनी होती है। इसके बाद उपलब्धता के आधार पर ट्रेन आती है। बिल्टी बनने के बाद किसानों को भाड़ा जमा करना होगा। 

क्या है किसान रेल : किसान रेल में 15 वीपीयू (पार्सल कोच) होते हैं। एक पार्सल कोच में 23 टन माल लादा जा सकता है। इस तरह एक ट्रेन में 345 टन आलू लोड होता है। वहीं, जब रेलवे के पास पार्सल कोच वाली ट्रेन उपलब्ध नहीं होती है तो सामान्य श्रेणी द्वितीय क्लास की सवारी ट्रेन भेजी जाती है। हालांकि, उसके एक कोच में 10 टन माल ही लोड किया जा सकता है।

इनकी भी सुनिए:  ट्रक पहुंचने में छह दिन से ज्यादा लगते हैं। इससे आलू खराब भी हो जाता है। किसान रेल से तीसरे दिन माल पहुंचने व भाड़ा कम होने से किसानों को लाभ होगा।  - रामलखन सिंह, आलू किसान।   किसान रेल फायदेमंद साबित होगी। कम भाड़े में असम की मंडी में आलू पहुंचने व बिक्री होने से लागत मूल्य तो निकल आएगा। ट्रक से भेजने में भाड़े पर ही काफी रुपये खर्च हो जाते हैं। - रोहित कुमार, आलू किसान। 

यह भी जानें:  600 से 700 रुपये प्रति क्विंटल है सड़क मार्ग से असम के लिए भाड़ा  459 रुपये प्रति क्विंटल है फर्रुखाबाद से बिहारा स्टेशन का सामान्य भाड़ा  50 फीसद सब्सिडी के कारण 229.50 रुपये प्रति क्विंटल होगा किसान रेल का भाड़ा 

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