Income Tax Raid: 13 मुखौटा कंपनियों में खपाए अघोषित 121 करोड़ रुपये, टैक्सी चालक को बनाया निदेशक

आयकर विभाग ने कानपुर की पशु आहर कंपनी के यूपी पंजाब और दिल्ली समेत तीस जगह पर एक साथ छापा मारकर 52 लाख रुपये के सोने व हीरे के जेवर और 1.3 करोड़ की नकदी कब्जे में ली है। विभाग की यह बड़ी कार्रवाई बताई जा रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 21 Nov 2020 02:25 PM (IST) Updated:Sat, 21 Nov 2020 02:25 PM (IST)
Income Tax Raid: 13 मुखौटा कंपनियों में खपाए अघोषित 121 करोड़ रुपये, टैक्सी चालक को बनाया निदेशक
कानपुर की पशु आहर निर्माता के ठिकानों पर आयकर विभाग ने कार्रवाई की है।

कानपुर, जेएनएन। पशु आहार समेत तीन कंपनियों ने दिल्ली और कोलकाता की 13 कंपनियों में अघोषित 121 करोड़ रुपये खपाए थे। आयकर अधिकारियों के लिए यह कानपुर की अब तक की सबसे बड़ी सफलता है। इससे पहले कभी 100 करोड़ रुपये की अघोषित आय विभाग ने नहीं पकड़ी थी। अधिकारियों को छापे की कार्रवाई के दौरान 1.3 करोड़ रुपये नकद और 52 लाख रुपये के सोने व हीरे के जेवर मिले हैं। सात लॉकर सील किए गए हैं। उन्हें छापे के बाद खोला जाएगा। शुक्रवार देर शाम तक जांच जारी थी। अब तक 121 करोड़ रुपये की अघोषित आय पकड़ी गई है।

आयकर विभाग ने बुधवार को सुरेंद्र नाथ शिवहरे की कामधेनु कैटिलफीड प्राइवेट लिमिटेड व दो अन्य कंपनियों के कानपुर समेत यूपी, दिल्ली, पंजाब में 30 स्थानों पर छापे मारे थे। अधिकारियों ने मुखौटा कंपनियों के जरिए अघोषित धन को घुमाकर अपने ही कारोबार में लगाने का मामला भी पकड़ा है। जांच में पाया गया कि 13 कंपनियों से लोन के जरिए कंपनी में भी धन आया और कंपनियों के निदेशकों के घरों के निर्माण के लिए भी धन लिया गया। अधिकारियों ने पाया कि ये सभी 13 कंपनियां मुखौटा कंपनियां हैं। उनका न तो कोई अस्तित्व है और न ही कोई रिटर्न फाइल किया जाता है।

इनका पंजीयन दिल्ली और कोलकाता के पते पर किया गया है। एक टैक्सी चालक भी इन कंपनियों में निदेशक दिखाया गया है। उसके 11 बैंक खाते भी हैं। अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि कहीं पशु आहार कंपनी के निदेशकों ने ही तो ये मुखौटा कंपनियां नहीं बना ली हैं। इन बोगस मुखौटा कंपनियों से 121 करोड़ रुपये का लोन दिखाया गया है। अधिकारियों का मानना है कि कंपनियों ने अपने ही अघोषित धन को इन कंपनियों से लोन दिखाया है।

मुखौटा कंपनियों में लगाने के बाद दोबारा लाए गए धन में से सबसे ज्यादा रकम मकान बनवाने में लगाई गई है। आयकर विभाग अब मकानों का मूल्यांकन करा रहा है। छापे के दौरान पता चला कि कंपनी में बड़ी संख्या में जमाकर्ताओं ने करोड़ों रुपये जमा किए हैं। खासतौर पर छापे के दायरे में लाई गई चिटफंड कंपनी में कई करोड़ रुपये अज्ञात लोगों ने जमा कराए हैं।

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