दीपावली पर यहां नहीं करते गणेश-लक्ष्मी का पूजन, जनिए क्यों और कब से है ऐसी परंपरा

इटावा के कृपालपुर गांव में लोग विपत्तियों में घिरे घर को पहले रोशन करते हैं और बुजुर्गों को याद करके पूजा करते हैं ।

By AbhishekEdited By: Publish:Wed, 07 Nov 2018 01:59 PM (IST) Updated:Wed, 07 Nov 2018 05:25 PM (IST)
दीपावली पर यहां नहीं करते गणेश-लक्ष्मी का पूजन, जनिए क्यों और कब से है ऐसी परंपरा
दीपावली पर यहां नहीं करते गणेश-लक्ष्मी का पूजन, जनिए क्यों और कब से है ऐसी परंपरा
कानपुर (जेएनएन)। दीपावली पर जहां पूरा देश विघ्नहर्ता गणेश जी व धन के साथ ऐश्वर्य प्रदान करने वाली मां लक्ष्मी की पूजा करता है, वहीं एक गांव में ऐसा नहीं होता। यहां एक अनूठी परंपरा है, इस गांव के लोग घरों को तो रोशन करते हैं लेकिन गणेश लक्ष्मी का पूजन नहीं करते हैं। सभी ग्रामीण उस घर को रोशन करते हैं जहां विपत्ति के चलते सब कुछ नष्ट हो गया हो फिर अपने-अपने घरों में जाकर दीये जलाते हैं।
कृपालपुर गांव में है अनूठी परंपरा
इटावा के फर्रुखाबाद मार्ग पर स्थित कृपालपुर गांव में ग्रामीण दीपावली पर गणेश व लक्ष्मी जी की पूजा नहीं करते हैं। दीपावली पर गांव की महिलाएं भजन गाते हुए थाली में दीप को प्रज्ज्वलित करती हैं। इसके बाद सभी ग्रामीण अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों को याद कर उनकी पूजा करते हैं। समूह के रूप में ग्रामीण दीपों से सजे थाल को लेकर सबसे पहले गांव के उस ग्रामीण के घर पहुंचते हैं जिस घर में विपत्ति के चलते सब कुछ नष्ट हो गया हो। दीपावली का पहला दीया उसी के घर पर रखकर रोशन किया जाता है। इसके बाद हर घर में दीये रखकर पूरे गांव को रोशन किए जाने की परंपरा है।
नए अनाजों की पूजा का विधान
कृपालपुर गांव में बंजारा बिरादरी की करीब पांच हजार आबादी हैं। गांव की विमला देवी बताती हैं कि यहां दीपावली पर बुजुर्गों व इस मौसम में खेत में पैदा होने वाले नए अनाजों की पूजा करने का विधान है। दीप पर्व मनाने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
मुगलकाल से चली आ रही परपंरा
गांव के प्रधान वेदपाल सिंह ने बताया कि मुगलकाल के समय से ही यह परंपरा चली आ रही है। बंजारा समुदाय को पृथ्वीराज चौहान का सहयोगी माना जाता था। उस समय मुगल शासकों से युद्ध के दौरान बंजारा समुदाय भी मैदान में उतरता था। दीपावली पर थाली में दीये रख बुजुर्गों को समर्पित करते हैं फिर चंद्रमा व सूर्य का स्मरण करते हैं। दीये के थाल को घर के हर कमरे में घुमाया जाता है ताकि लक्ष्मी का वास हो।
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