कहीं आपका बच्चा डिस्लेक्सिया का शिकार तो नहीं, अब स्कूली स्तर पर होगी इसकी पहचान Kanpur News

आइआइटी कनाडा हैदराबाद दिल्ली हरियाणा के विशेषज्ञों ने बीबीआइटी विकसित किया है स्कूली स्तर पर पकड़ में आएंगे न्यूरो संबंधी रोग।

By AbhishekEdited By: Publish:Sun, 06 Oct 2019 09:59 AM (IST) Updated:Sun, 06 Oct 2019 03:51 PM (IST)
कहीं आपका बच्चा डिस्लेक्सिया का शिकार तो नहीं, अब स्कूली स्तर पर होगी इसकी पहचान Kanpur News
कहीं आपका बच्चा डिस्लेक्सिया का शिकार तो नहीं, अब स्कूली स्तर पर होगी इसकी पहचान Kanpur News

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। न्यूरो की एक समस्या ऐसी भी है जो बचपन में आसानी से नजर नहीं आती है। बच्चा देखने, बोलने और व्यवहार में बिल्कुल सामान्य दिखता है, लेकिन उसे पढऩे, लिखने और समझने में कठिनाई होती है। उसे पढ़ाई में कमजोर माना जाने लगता है जबकि वास्तविकता कुछ और रहती है। कुछ साल पहले आई आमिर खान अभिनीत फिल्म 'तारे जमीं पर' की कहानी ऐसे ही बच्चे पर आधारित थी। उसमें छात्र को 'डिस्लेक्सिया' था, जिसकी वजह से अक्षर और रंगों को पहचानने में कठिनाई होती थी। ऐसी दिक्कतों को पहचानना भी मुश्किल भरा है। ऐसे ही न्यूरो संबंधी रोगों का स्कूली स्तर पर पहचान करना अब आसान हो गया है।

बीबीआइटी से आसान होगा बौद्धिक क्षमता का आकलन

आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने कनाडा, भुवनेश्वर, हैदराबाद, दिल्ली, हरियाणा के तकनीकी संस्थानों के विशेषज्ञों ने ब्रेन बेस्ड इंटेलीजेंस टेस्ट (बीबीआइटी) विकसित किया है, जिससे बौद्धिक क्षमता का आकलन करना बेहद आसान हो जाएगा। विशेषज्ञों ने देशभर के 1200 से अधिक छात्रों पर प्रयोग किया है, जिसके नतीजे बहुत ही शानदार आए हैं। बीबीआइटी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) को सौंपने की तैयारी है। दिसंबर तक केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इसे लागू कराने का प्रस्ताव भेजा जाएगा। इस टेस्ट से मानसिक विकार, याददाश्त में कमी, ऑटिज्म, एपिलेप्सी, डिमेंशिया, नजर की कमी की समस्या का पता चल सकेगा। यह परीक्षा पूरी तरह भारतीय मानकों के मुताबिक तैयार की गई है।

5 से 18 साल के छात्र शामिल

बीबीआइटी मुख्यता पांच से 18 साल के आयु के छात्रों के लिए तैयार किया गया है। इस परीक्षण का स्तर कक्षा बढऩे के साथ ही बढ़ता जाएगा। बौद्धिक क्षमता के आकलन में भाषा की जरूरत नहीं है। यह टेस्ट चिन्ह, निशान, चित्र, डिजाइन आदि पर आधारित रहेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक नौकरी के दौरान साक्षात्कार के लिए बीबीआइटी का प्रयोग किया जा सकता है।

बीबीआइटी तैयार करने में लगे दो साल

बीबीआइटी तैयार करने में कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ अलबर्टा के प्रो. जेपी दास, उत्कल यूनिवर्सिटी के प्रो. यूएन डैश, अशोका विश्वविद्यालय के प्रो. प्रकाश पदकानन्य, भुवनेश्वर से स्वागीतिका सामंत्रे, हैदराबाद से पूजा नायर, दिल्ली से रेणू गोयल शामिल हैं। आइआइटी कानपुर में मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रो. बृजभूषण बौद्धिक क्षमता का आकलन अलग तरह की परीक्षा है। इसको तैयार करने में दो साल का समय लगा है। सैकड़ों स्कूलों से हजारों बच्चों के आंकड़े लिए हैं। बेहतर परिणाम सामने आए हैं।

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