आइआइटी कानपुर विकसित कर रहा तकनीक, अब मौसम की तरह बिजली का भी लग सकेगा पूर्वानुमान

बिजली की बचत के लिए आइआइटी कानपुर विभिन्न कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

By AbhishekEdited By: Publish:Thu, 27 Feb 2020 04:53 PM (IST) Updated:Thu, 27 Feb 2020 04:53 PM (IST)
आइआइटी कानपुर विकसित कर रहा तकनीक, अब मौसम की तरह बिजली का भी लग सकेगा पूर्वानुमान
आइआइटी कानपुर विकसित कर रहा तकनीक, अब मौसम की तरह बिजली का भी लग सकेगा पूर्वानुमान

कानपुर, जेएनएन। अब मौसम की तरह बिजली की खपत का भी पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। ऊर्जा संरक्षण पर आइआइटी कानपुर विभिन्न कंपनियों संग मिलकर ऐसी तकनीक विकसित कर रहा है। इसमें बिजली की खपत के आधार पर की जाने वाली आपूर्ति का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। इससे बिजली की बचत के साथ सबस्टेशनों का लोड भी कम किया जा सकेगा।

जरूरत के हिसाब से दी जाएगी बिजली

आइआइटी द्वारा विकसित की जाने वाली तकनीक में सब स्टेशन, फीडर व ट्रांसफार्मर में एक दिन, सात दिन, एक महीना और साल भर कितना लोड है, उसका पता चल जाएगा। उस लोड के हिसाब से क्षेत्र में सप्लाई दी जाएगी, जिससे न सिर्फ बिजली की बचत होगी, बल्कि उपकरणों पर लोड भी कम रहेगा। यह सब संस्थान में बने स्मार्ट ग्रिड कंट्रोल सेंटर से होगा, जहां विभिन्न बिजली वितरण कंपनियों के साथ शोध की तैयारी हुई है। इसे लोड फोरकास्ट (भार का पूर्वानुमान) कहा जाएगा।

सौर ऊर्जा के लिए होगा फायदेमंद

सेंटर में ही वेदर फोरकास्ट (मौसम का पूर्वानुमान) होगा। यह तकनीक सौर उर्जा लगाकर बिजली उत्पादन कर रहे संस्थानों के लिए फायदेमंद रहेगी। इसमें सौर उर्जा से कितनी बिजली का उत्पादन हो रहा है। उस पर लोड कितना है। कई दिन तक कितनी बिजली का उत्पादन होगा, उसकी सटीक जानकारी मिल जाएगी। इस तकनीक से वितरण कंपनियों की बचत हो जाएगी।

स्काडा सिस्टम का होगा उच्चीकरण

आइआइटी के विशेषज्ञ सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन (स्काडा) के उच्चीकरण पर काम कर रहे हैं। इसमें ओवरलोडिंग होने पर सॉफ्टवेयर अपने आप ही फैसला लेगा कि बिजली सप्लाई बाधित करनी है या फिर उसे पहले एलर्ट जारी करना है। किसी मोहल्ले में अगर अधिक लोड हुआ तो पहले सब स्टेशन में अलर्ट मैसेज आएगा फिर उस मोहल्ले के ट्रांसफार्मर से सप्लाई कट सकती है।

कई कंपनियां कर रहीं काम

इलेक्ट्रिकल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रो. अंकुश शर्मा के मुताबिक कई कंपनियां काम कर रही हैं। उनके लिए उपकरण आर साफ्टवेयर डिजाइन किए जाएंगे। केस्को, यूपीपीसीएल, जेडीपीसीएल, टीएसएसपीडीसीएल, जेईआरसी, डीएचबीवीएन, पीवीवीएनएल, एमवीवीएनएल, डीवीवीएनएल आदि शामिल हैं।

chat bot
आपका साथी