IIT Kanpur में बना देश का पहला साफ्टवेयर बताएगा प्रदूषित गैसों का हाल, अमेरिका में होता है इस्तेमाल

आइआइटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विशेषज्ञों ने देश में पहला सॉफ्टवेयर तैयार किया है अबतक इसका इस्तेमाल विदेशों में हो रहा है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 02 Aug 2020 02:56 PM (IST) Updated:Sun, 02 Aug 2020 02:56 PM (IST)
IIT Kanpur में बना देश का पहला साफ्टवेयर बताएगा प्रदूषित गैसों का हाल, अमेरिका में होता है इस्तेमाल
IIT Kanpur में बना देश का पहला साफ्टवेयर बताएगा प्रदूषित गैसों का हाल, अमेरिका में होता है इस्तेमाल

कानपुर, जेएनएन। बहुत जल्द हर शहर का प्रदूषण का हाल एक क्लिक में कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर सामने होगा। अब औद्योगिक इकाइयों, वाहनों व घरों की संख्या, सड़कों व कच्चे स्थान के अनुसार एक दिन, एक महीने से लेकर एक साल तक के प्रदूषण व दूषित गैसों के उत्सर्जन का ब्योरा देख सकेंगे। आइआइटी कानपुर ने देश का ऐसा पहला सॉफ्टवेयर विकसित किया, जो यह सब जानकारी देगा। इससे कुछ ही पल में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड और सल्फर डाईऑक्साइड समेत अन्य गैसों का आकलन सामने होगा। इस तरह का यह देश का पहला सॉफ्टवेयर है, हालांकि अभी अमेरिका समेत अन्य देशों में ऐसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है। सॉफ्टवेयर जल्द ही बड़े स्तर पर लांच किया जाएगा।

छोटे शहरों में मैनुअल होता आकलन

कूड़ा-करकट के जलने और वाहनों से निकले वाला धुआं, सड़क किनारे उड़ती धूल, कारखानों की गैसें वायु प्रदूषण की प्रमुख वजह हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अपने अलग-अलग मॉनीटरिंग स्टेशन हैं। यह वायु गुणवत्ता सूचकांक की स्थिति बताते हैं। प्रमुख शहरों और महानगरों में तो आॅटोमेटिक मॉनीटरिंग स्टेशन स्थापित हैं, जबकि छोटे शहरों में यह सुविधा नहीं है। वहां क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मैन्युअल तरीके से वायु की गुणवत्ता जांच करता है।

संस्थान की वेबसाइट से संचालित होगा सॉफ्टवेयर

आइआइटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. मुकेश शर्मा और उनकी टीम के बनाए सॉफ्टवेयर से किसी भी शहर की आबोहवा में गैस उत्सर्जन का सटीक आकलन अपने आप होगा। यह सॉफ्टवेयर चलाना बेहद आसान रहेगा। प्रो. शर्मा के मुताबिक देश में इस तरह का यह पहला सॉफ्टवेयर है। यह जिला प्रशासन, नगर निगम, केडीए, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शैक्षणिक संस्थान, शोधार्थियों के काम आएगा। सॉफ्टवेयर इन्हीं संस्थानों की ही वेबसाइट के माध्यम से संचालित किया जा सकेगा।

एक्यूआइ जानने की प्रक्रिया को बनाया था सरल

प्रो. मुकेश शर्मा ने वायु गुणवक्ता सूचकांक (एक्यूआइ) को जानने और जानकारी जुटाने के माध्यम को सरल बनाया था। पीएम नरेंद्र मोदी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। वह कई तरह के केंद्रीय प्रोजेक्टों पर काम कर रहे हैं।

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