खुशी चाहते हैं तो अपने प्रोफेशन से करें प्यार : यतींद्र सिंह

जिस तरह सोना तपने के बाद कुंदन बनता है उसी तरह मनुष्य भी परिश्रम से चमकता है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 02:08 AM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 02:08 AM (IST)
खुशी चाहते हैं तो अपने प्रोफेशन से करें प्यार : यतींद्र सिंह
खुशी चाहते हैं तो अपने प्रोफेशन से करें प्यार : यतींद्र सिंह

जागरण संवाददाता, कानपुर: खुशी मनुष्य के अंदर होती है। इसे तलाशने की जरूरत है। जो व्यक्ति अपने कार्य अथवा प्रोफेशन से प्यार करता है वह हमेशा खुश रहता है। यही कारण है कि मनुष्य को वह प्रोफेशन चुनना चाहिए, जिससे वह प्यार करता हो। अगर किसी कारणवश उसे दूसरे प्रोफेशन का चुनाव करना पड़ता है तो वह उसे भी अपनेपन व प्यार के नजरिए से देखें। इससे उसकी जिदगी खूबसूरत बन जाएगी। ये बातें छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश यतींद्र सिंह ने वीएसएसडी कॉलेज के संस्थापक दिवस समारोह के दौरान कहीं।

छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह सोना तपने के बाद कुंदन बनता है, उसी तरह मनुष्य भी परिश्रम से चमकता है। अगर परिश्रम नहीं करेंगे तो आत्मविश्वास नहीं आएगा। विधि विभाग के छात्र छात्राओं से कहा कि एलएलबी की पढ़ाई केवल वकालत करने के लिए ही नहीं होती। इस डिग्री से सरकारी अधिकारी बनने, समाज सेवक व किसी अन्य क्षेत्र में भी नौकरी करने के साथ नेता बनने की राह भी खुलती है। यह आपकी बुद्धि व विवेक पर निर्भर करता है कि आप क्या बनना चाहते हैं। उन्होंने छात्रों से गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के वन, सेवन, टू व नाइन के फार्मूले को पूछा। इस सवाल का सटीक जवाब देने वाली एलएलबी की छात्रा कीर्ति गुज्जर को उन्होंने केक इनाम में दिया। इस मौके पर महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष आदित्य शंकर वाजपेई, सचिव वीरेंद्रजीत सिंह, सह सचिव नीतू सिंह, संयुक्त सचिव केके गुप्ता, प्राचार्य डॉ. छाया जैन, संयोजिका डॉ. नीरू टंडन, वरिष्ठ शिक्षक डॉ. मनोज अवस्थी, डॉ. राकेश शुक्ला मौजूद रहे। संचालन डॉ. आनंद शुक्ला ने किया।

कॉलेज का चल रहा शताब्दी वर्ष

वीएसएसडी कॉलेज उत्तर भारत का पहला कॉमर्स कॉलेज है। वर्ष 1921 में स्थापित इस कॉलेज का नाम उन दिनों सनातन धर्म कॉलेज ऑफ कॉमर्स हुआ करता था जो बांबे विश्वविद्यालय से संबद्ध था। उन जमाने में कॉमर्स की पढ़ाई बांबे विवि में ही हुआ करती थी। उसके बाद जब इलाहाबाद विवि में कॉमर्स का संकाय आया तो कॉलेज की संबद्धता वहां से हो गई। कुछ वर्ष बाद छत्रपति शाहू जी महाराज विवि स्थापित होने पर कॉलेज इससे संबद्ध हो गया। शुरुआती दौर में यहां छात्रों की संख्या करीब ढाई सौ थी, जो अब साढ़े सात हजार पहुंच गई है। आज यहां बीए, बीएससी, बीकॉम, एमए, एमएससी, एमकॉम, लॉ, बीएड, बीपीएड व एमएड समेत 20 संकाय में पढ़ाई होती है।

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