भगवान श्रीराम के विश्राम और भोलेनाथ के नृत्य का साक्षी है गोरखगिरि पर्वत

महोबा में पौराणिक और एतिहासिक पर्वत पर्यटन की दृष्टि से बेहद खास है।

By AbhishekEdited By: Publish:Thu, 26 Sep 2019 01:45 PM (IST) Updated:Fri, 27 Sep 2019 09:26 AM (IST)
भगवान श्रीराम के विश्राम और भोलेनाथ के नृत्य का साक्षी है गोरखगिरि पर्वत
भगवान श्रीराम के विश्राम और भोलेनाथ के नृत्य का साक्षी है गोरखगिरि पर्वत

महोबा, [जागरण स्पेशल]। आइए आज आपको रूबरू कराते हैं महोबा की पौराणिक-आध्यात्मिक महत्ता से, जिसमें विश्व के पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता है। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण के विश्राम के साथ ही गजासुर के अंत के बाद भूतभावन भोलेनाथ के नृत्य का साक्षी रहा महोबा पौराणिक गोरखगिरि पर्वत सहित विश्वस्तरीय स्मृतियों-किवंदतियां सहेजे है।

ये है पर्वत का इतिहास

लोगों की अगाध श्रद्धा का केंद्र है गोरखगिरि पर्वत। कहते हैं कि यहां त्रेता युग में वनवास काल के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण ने कुछ समय यहां बिताकर इस भूमि को पवित्र किया। गुरु गोरखनाथ एवं उनके सातवें शिष्य दीपकनाथ के तप ने इस पहाड़ को तेज प्रदान किया।

11 वीं सदी की शिवतांडव प्रतिमा आस्था की प्रतीक

11 शताब्दी में चंदेल शासक नान्नुक ने इन महत्ताओं के बारे में जाना तो गोरखगिरि पर्वत के नीचे भगवान शिव की तांडव करती महाकाल रूपी सिद्ध प्रतिमा स्थापित कराई। यह शिवतांडव मंदिर लोगों की श्रद्धा का केंद्र है। इतिहासकार बताते हैं कि भगवान शिव ने गजांतक नामक असुर का वध करने के बाद यहां नृत्य किया था, उसे शिवतांडव कहा गया। इसपर चंदेल शासक नान्नुक ने ऐतिहासिक मदन सागर सरोवर के पश्चिम में गोरखगिरि पर्वत की उत्तर पाद भूमि में शिला (ग्रेनाइट पत्थर) पर भगवान भोलेनाथ की महाकाल की मुद्रा में तांडव नृत्य करती दस भुजी प्रतिमा का निर्माण कराया था। यह मूर्ति उत्तर भारत में अपने किस्म की अनोखी है। यह भव्य प्रतिमा एक चट्टान पर उत्कीर्ण की गई है। इसका वर्णन कर्मपुराण में भी मिलता है। इतिहासकारों के मुताबिक ऐसी प्रतिमा दक्षिण भारत में ऐलोरा, हेलविका तथा दारापुरम में भी है।

पूरी होती है मनोकामना

मान्यता है कि मंदिर में मत्था टेकने वाले श्रद्धालु की हर कामना प्रभु पूरी करते हैं। यहां शिवरात्रि, मकर संक्रांति व सावन मास के सभी सोमवार को भक्तों की भीड़ उमड़ती है। गोरखगिरि पर्वत महोबा शहर से महज साढ़े तीन किमी दूर है। यहां बस से जाएं या फिर ट्रेन से, दूरी लगभग इतनी ही पड़ेगी। महोबा शहर में होटल हैं जिनमें रुका जा सकता है। महोबा डीएम अवधेश कुमार तिवारी कहते हैं कि इन पौराणिक स्थानों का चिह्नांकन कराकर नए सिरे से प्रस्ताव शासन को भेजेंगे। इन क्षेत्रों को पर्यटन के लिहाज से विकसित कराएंगे ताकि पर्यटक आकर्षित हों।

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