आज डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दे सुहागिनें मांगी सुख-समृद्धि

घटवा पे सुरज देव के लेइ अइहा हो छठ मइया.. गीत के साथ ही शुक्रवार को घरों में खीर का सेवन कर महिलाओं ने अखंड छठ व्रत का शुभारंभ किया। घरों में चौरा बनाकर अखंड ज्योति जलाई गई।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Nov 2019 01:46 AM (IST) Updated:Mon, 04 Nov 2019 06:19 AM (IST)
आज डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दे सुहागिनें मांगी सुख-समृद्धि
आज डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दे सुहागिनें मांगी सुख-समृद्धि

जागरण संवाददाता, कानपुर : 'घटवा पे सुरज देव के लेइ अइहा हो छठ मइया..' गीत के साथ ही शुक्रवार को घरों में खीर का सेवन कर महिलाओं ने अखंड छठ व्रत का शुभारंभ किया। घरों में चौरा बनाकर अखंड ज्योति जलाई गई। छठ माता का पूजन-अर्चन कर उन्हें घाट पर सूर्य भगवान के साथ आने का निमंत्रण दिया गया। महिलाओं ने छठ पूजा की कथा सुनी। अब शनिवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को संध्या के समय अस्त होते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर महिलाएं सुख समृद्धि व मंगलमय जीवन की कामना करेंगी।

पूरा शहर अब छठ पूजा के रंग में रंग गया है। शहर में रहने वाले बिहार, पूर्वाचल और झारखंड के हजारों लोगों के साथ ही शहर के भी तमाम परिवार छठ माता का पूजन अर्चन की तैयारी में जुटे हैं। शुक्रवार को खरना पर महिलाओं ने घरों में छठ मइया का पूजन अर्चन किया। उन्होंने ठेकुआ बनाया और गुड़ या फिर गन्ने के रस से बनी खीर का सेवन भी किया। चौरा में पूजन सामग्रियां रखी गई और अखंड निर्जला व्रत के संकल्प के साथ ही अखंड ज्योति जलाकर उनके दर्शन भी किए।

सूर्य डूबते ही घरों में पूजन-अर्चन का दौर शुरू हो गया। अब हर किसी को इ्रंतजार है तो सिर्फ सूर्य षष्ठी तिथि का ताकि डूबते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देकर मंगलमय जीवन की कामना की जा सके। खरना पर महिलाओं ने 'छठ मइया के आके सजा देबू का हो..' व 'केलवा के पात पर उगले सूरज देव झांके झुकी करेलु छठ बरतीया हो..' आदि गीतों के साथ ही माता रानी को निमंत्रण दिया। अर्मापुर नहर, पनकी नहर, शास्त्री नगर, विजय नगर, देवकी, कल्याणपुर, रावतपुर, सीटीआई, गोलाघाट, मेस्कर घाट, मैग्जीन घाट, सत्ती चौरा, कोयला घाट आदि घाटों पर देर रात तक वेदियां बनाकर उन्हें सजाया गया।

अर्मापुर नहर पर भगवान सूर्य के मंदिर की छटा देखते ही बन रही थी। कल-कल बहते जल में झिलमिल झालरो की रंग बिरंगी रोशनी हर किसी को आकर्षित कर रही थी। लोग घाटों पर वेदियां बनाने में एक दूसरे की मदद भी कर रहे थे।

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