शानदार अतीत वाली घाटमपुर सीट पर पहला उपचुनाव, जो चुना गया उसे मिला महत्वपूर्ण कद

घाटमपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस बसपा और सपा के बाद अब भाजपा का बोलबाला रहा यहां से चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के सरकार व पार्टियों में महत्वपूर्ण रहने के चलते दशकों तक विकास की गंगा बहती रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 30 Sep 2020 08:01 AM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 08:01 AM (IST)
शानदार अतीत वाली घाटमपुर सीट पर पहला उपचुनाव, जो चुना गया उसे मिला महत्वपूर्ण कद
घाटमपुर विधासभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा कर दी गई है।

कानपुर, जेएनएन। सूबाई राजनीति में सदैव महत्वपूर्ण रही घाटमपुर विधानसभा सीट का इतिहास शानदार रहा है। यहां पहली बार उप चुनाव होने जा रहा है, जो इस सीट के इतिहास में नए अध्याय के तौर पर जुड़ रहा है। घाटमपुर विधानसभा सीट के गौरवशाली अतीत की चमक वर्तमान तक बरकरार रही। यहां के जनप्रतिनिधियों के सरकार व पार्टियों में महत्वपूर्ण रहने के चलते यहां दशकों तक विकास की गंगा भी बही।

कुछ यूं रहा इतिहास

वर्ष 1967 व 69 में यहां से विधायक निर्वाचित हुए पंडित बेनी सिंह अवस्थी खाद्य रसद, स्वायत्त शासन समेत तमाम विभागों के कैबिनेट मंत्री रहे। शिवनाथ सिंह कुशवाहा 1962, 1974, 1980, 1985 और 1991 में विधायक व विधानसभा उपाध्यक्ष तो कभी राज्यमंत्री बने। 1977, 1989 में विधायक बने राम आसरे अग्निहोत्री और 1996 में विधायक बने राजाराम पाल दर्जा राज्यमंत्री रहे।

2017 में भाजपा से विधायक बनी कमलरानी योगी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मत्री बनीं तो फिर सर्वांगीण विकास की आस जगी थी। उनकी प्राथमिकता में यमुना तटवर्ती तिरहर क्षेत्र का विकास, चीनी मिल की पुनस्र्थापना, इंजीनियरिंग कॉलेज का निर्माण पॉलीटेक्निक व राजकीय कन्या इंटर कॉलेज को मॉडल बनाना था। लेकिन, 11 माह के मंत्रित्वकाल में ही असामयिक मौत के चलते सपने बिखर गए और असमय उप चुनाव सामने है।

घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र पर एक नजर

कुल मतदाता-3,15,776

पुरुष-1,72,759

महिला-1,43,012

अन्य-5

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